फतेहपुर/नि.सं.
-योगी राज की अजब कहानी, भाजपा नेत्री के दबाव में पुलिस, एफआईआर के बाद सिस्टम ने झुकाए कन्धे
गोचर, पशुचर, तालाब एवं ग्राम समाज आदि की अधिकांश सरकारी जमीनो को पार करने वाले भू-माफियाओ ने अब खाशकर शहर क्षेत्र में खाली पड़े प्लाटों पर नजर गड़ा दी है। अब तक ऐसे दर्जनो मामले प्रकाश में आ चुके है, जिसमें दूसरे के नाम पड़ी जमीन का दूसरे ने बैनामा कर दिया। बेजा फितरत का आलम यह है कि भाई ने भाई की बेशकीमती जमीन को ही औने-पौने दामो में निपटा दिया। इस बड़े खेल में राजस्व विभाग की भूमिका भी अत्यंत संदिग्ध रही है। खासकर लेखपालों ने तो हद ही कर रखी है। प्रत्येक भूमाफिया का अपना एक लेखपाल सेट है और वही पूरा खेल कराता है। शहर के वीआईपी रोड स्थित पृथ्वीपुरम (हबीबपुर) में राम सिंह नाम का एक ऐसा कलंदर है, जिसने तलाबी नम्बर की लगभग नौ बिस्वा जमीन का सात अलग-अलग लोगों को बाकायदे बैनामा कर दिया और पुलिस एवं राजस्व विभाग से सेटिंग करके कब्जा भी दिला दिया।
उपलब्ध दस्तावेज़ो के मुताबिक शहर के पृथ्वीपुरम (हबीबपुर) निवासी राम सिंह पुत्र स्व० राम औतार ने इस क्षेत्र में अपनी कई बीघे पैतृक जमीन की आड में खसरा संख्या 1500 (तालाबी नम्बर) जिसका क्षेत्रफल 0.0730 (लगभग नौ बिस्वा) है। राम सिंह ने सात अलग-अलग लोगों को इस तालाबी नम्बर वाली जमीन को नम्बर में खेल करके बैनामा कर दिया। रजिस्ट्री में भूमि नम्बर 1499 दर्ज किया गया। क्योंकि मौके पर बैनामे में दिखाए गए नंबर की जमीन थी ही नहीं, इसलिये बासकल तालाब की जमीन नम्बर 1500 पर कई लोगों का कब्जा भी करा दिया गया। कलंदर किस्म के राम सिंह ने विगत 28 दिसम्बर 2015 को शकुन्तला देवी पत्नी राम बहादुर पाल निवासी ग्राम कल्यानपुर मजरे मोहनखेड़ा एवं 18 जनवरी 2017 को रीता देवी पत्नी धीरेंद्र प्रकाश निवासी ग्राम जुगुल का पुरवा मजरे असनी को भी बैनामा किया, जिन्होंने तालाब की जमीन पर कई कई मंजिल का निर्माण भी करवा लिया है।
कलंदर किस्म के राम सिंह लोधी के इस गड़बड़झाले से उनके अन्य भाई इत्तिफाक नहीं रखते। कई बार जिला एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों से शिकायत के बावजूद जब कोई कार्यवाही नहीं की गई तो उच्च न्यायालय की शरण ली गई। हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को स्पष्ट आदेश दिया किन्तु घाघ सिस्टम की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। नतीजतन शिकायतकर्ता तीन बार और हाईकोर्ट गये, कंटेम्ट भी हुआ किंतु करवाई के बाबत किसी ने सुध नहीं ली। विगत 01अक्टूबर 2019 को हाईकोर्ट ने नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी को उपरोक्त तालाबी नम्बर की जमीन तुरन्त खाली करवाने के लिये पुनः आदेशित किया, किन्तु मौके पर स्थिति अभी भी पूर्ववत् ही है।
उक्त तालाबी नम्बर की जमीन के बाबत एक अन्य जानकारी के अनुसार लेखपाल रघुराज ने अपनी रिपोर्ट में बड़ा खेल किया है। कहते है उच्चाधिकारियों के समक्ष जो नक्शा पेश किया गया है, उसमें सेटिंग गेटिंग के चलते बने माकानो को काटकर दिखाया गया है। इस रिपोर्ट में 09 बिस्वा की तालाबी नम्बर वाली जमीन में भी भ्रम की स्थिति बनाने का भरपूर प्रयास किया गया है। दूसरी ओर कलंदर राम सिंह ने अपनी पैतृक और फिर बेशकीमती तालाबी नम्बर की ज़मीन को ठिकाने लगाने के बाद अब अपने भाइयों की सम्पत्तियों पर भी नजर गड़ा दी है। पिता की अंतिम इच्छा को दरकिनार करते हुए भाइयों से छिपाकर उस भूखण्ड को भी बेच डाला जिसमें माँ एवं बुआ को दफनाया गया था। देर रात जेसीबी से कब्रे उखाड़कर फेकवा दिया और अगली सुबह से चर्चित भाजपा नेत्री विजय लक्ष्मी साहू के नजदीकी रिश्तेदार ज्योति प्रकाश साहू को कब्जा दिला दिया, जिसमें काफी कुछ निर्माण भी हो चुका है। क्योंकि कब्र वाले भूखण्ड के भी आधा दर्जन वारिस है, इसलिये रामसिंह द्वारा अकेले किये गये बैनामे का कोई महत्व नहीं रह जाता। बावजूद इसके मामला हाईप्रोफाइल भाजपा नेत्री से जुड़ा होने के कारण एफआईआर के बावजूद कोतवाली पुलिस कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
कलंदर राम सिंह द्वारा बैनामा किए गए भूखंड़ो में कुछ हिस्सा ग्राम समाज का भी बताया जाता है। उसने अभी हाल में अपने एक भाई के बैनामाशुदा प्लाट के लिए भी एक भाजपा नेता के भाई से बयाना ले लिया है और उस प्लाट पर कब्जा करते हुए खुलेआम धमकी देता है कि कोई सामने आया तो गोली मार दूँगा। अब सवाल यह उठता है कि जब पुलिस-प्रशासन सरकारी ज़मीनो की सुरक्षा के प्रति गम्भीर नहीं है और तीन तीन बार हाईकोर्ट से अवमानना के बावजूद उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता तो क्या एक गरीब मजदूर की ज़मीन को बचाने के लिये वह गम्भीर होगा, योगी राज में यह सबसे बड़ा समसामयिक सवाल है, जिसपर जवाबदेहो को आज न सही कल पीछे मुड़कर देखना अवश्य पड़ेगा। इस मामले में कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
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