फतेहपुर/नि.सं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बड़े बयान जारी करते हुए कहा था कि यदि उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के ऊपर हमला करने वालों को 24 घंटे के अंदर जेल भेजने का काम किया जाएगा उनका यह बड़ा बयान वाले ही अन्य जनपदों में लागू हो रहा हूं किंतु जनपद फतेहपुर की स्थिति दयनीय है आए दिन पत्रकारों के ऊपर हमले होते हैं! फिर चाहे वह जनपद के आंबापुर में पत्रकार रवि कश्यप व मानव अधिकार एवं उपभोक्ता फोरम ट्रस्ट नई दिल्ली का के जिला अध्यक्ष श्रीराम अग्निहोत्री के ऊपर हुए हमले की बात हो या फिर यह भी आप कह सकते हैं कि सदर कोतवाली के अंदर पत्रकार उमेश के ऊपर पुलिस प्रशासन द्वारा पत्रकार को कोतवाली में कवरेज करने के दौरान मारपीट की बात का मामला हो कहीं ना कहीं सत्य दिखाने वाले पत्रकारों के ऊपर आए दिन हमले होते हैं और पुलिस प्रशासन पत्रकारों के साथ ऐसा रवैया अपनाती है कि जैसे मानो पत्रकारों के ऊपर हमला करने वाले पुलिस प्रशासन के रिश्तेदारों है पुलिस प्रशासन अपनी बखूबी निभाते हुए पत्रकारों के ऊपर हमले करने वाले अपराधियों को बचाने का काम करती है क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस भी पत्रकारों से पीड़ित है वह इसलिए कि पत्रकार पुलिस प्रशासन की सत्यता को उजागर करने में पीछे नहीं हटते इसीलिए पुलिस पत्रकारों के बचाव के अलावा अपराधियों को बचाने में ज्यादा मदद करती है ऐसा ही एक मामला आंबापुर क्षेत्र में पत्रकारों के ऊपर हुए प्राणघातक हमले का शिकार हुए जिला अध्यक्ष आज भी न्याय के लिए भटक रहे हैं आंबापुर क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर की मानो फौज जैसी खड़ी है वही झोलाछाप डॉक्टर ने जब देखा कि मीडिया के कुछ कर्मी रोड पर खड़े हुए हैं तो उन्होंने गाली गलौज करते हुए मीडिया कर्मी व जिला अध्यक्ष के ऊपर प्राणघातक हमला कर दिया जिसमें जिला अध्यक्ष के शरीर में काफी गंभीर चोटें आई और फिर जिला अध्यक्ष व पत्रकार पुलिस प्रशासन को सूचना देकर थरियांव थाने में अपराधियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराने पहुंच गए वही पूर्व में रहे थाना प्रभारी ने अपने मन मुताबिक तहरीर लिखवाने के लिए पत्रकार व जिला अध्यक्ष की तीन बार तहरीर वापस की है जबकि पत्रकार व जिलाध्यक्ष अपनी तहरीर में सत्य घटना को ही तहरीर में दर्शा रहे थे परंतु थाना अध्यक्ष के चहेते डॉक्टरों ने जो मीडिया कर्मियों के ऊपर हमले किए थे उनको बचाने में थाना अध्यक्ष अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे थे यही हाल सदर कोतवाली के अंदर का था कवरेज करने गए पत्रकार उमेश को कोतवाली के अंदर ही दरोगा सिपाही ने बंधक बनाकर जमकर पीटा बल्कि पत्रकार बता रहा था कि सदर कोतवाल के आदेश अनुसार वह कोतवाली के अंदर खबर कवरेज करने आया है फिर भी पत्रकार की एक भी नहीं सुनी गई क्योंकि पुलिस प्रशासन को तो अपनी मानो दुश्मनी सी पत्रकार से निकालनी रही हो तभी तो थरियांव थाने की पुलिस 8 सितंबर को मेडिकल हो जाने के बावजूद भी अभी तक मेडिकल रिपोर्ट नहीं लेकर आए हैं! यदि उत्तर प्रदेश में पत्रकारों का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ तो ऐसे मुख्यमंत्री का बयान देने से क्या फायदा जिसका अमल जनपद में किया ही नहीं जाता है!