फतेहपुर नि.सं.
असोथर/खेतों को समय से पानी न मिलने की वजह से करीब पांच हजार बीघा जमीन परती पड़ी है। धान की फसल काटने के बाद सूखे खेतों की पानी के अभाव में किसान पलेवा नहीं कर पाए और फसलों की बुआई नहीं हो सकी। क्षेत्र के किसान जरौली पंप कैनाल के सहारे खेती करते हैं। यह पंप कैनाल ढाई महीने से बंद है। नहर से भरोसे खेती करने वाले किसानों की इस बार दिक्कतें बढ़ गईं हैं। जरौली पंप कैनाल 15 अक्तूबर से बंद है। 400 क्यूसेक पानी की क्षमता वाले इस कैनाल से असोथर, विजयीपुर, हसवा, धाता के अलावा कौशांबी जिले तक निचली गंगा नहर के माध्यम से पानी दिया जाता है। किसानों ने जब धान की फसल काटना शुरू किया था, तभी से पंप कैनाल बंद कर दी गई थी। जो अभी तक चालू नहीं की गई है। जिन किसानों के खेतों में फसल बुआई के लिए पर्याप्त नमी थी। उन्होंने तो गेहूं, राई, सरसों की फसल बो दी थी, लेकिन जिन किसानों के खेत सूख गए थे, वह पंप कैनाल चलने और नहर में पानी का इंतजार करते रहे। ढाई महीना बीतने के बाद भी नहर सूखी पड़ी है। इससे असोथर क्षेत्र के कुम्हारन डेरा, रायपुर भसरौल, मटिहा, नरैनी, सातों मनावां गांव में करीब पांच हजार बीघा खेत परती पड़े हैं। मटिहा गांव के किसान रामबाबू तिवारी ने कहा कि गेहूं बोने का समय भी खत्म हो गया। नहर में अभी तक पानी नहीं आया है। मटिहा गांव में करीब 1500 बीघा खेत परती पड़े हैं। सातों पीत प्रधान दिनेश यादव ने कहा कि सूखे खेत में किसान फसलों की बुआई नहीं कर पाए हैं। क्षेत्र में करीब पांच हजार बीघा खेत परती पड़े हैं।
नहर के जर्जर पुलों का निर्माण कराने के लिए अक्तूबर में पंप कैनाल बंद कर दिया गया था। शासन से इसका आदेश आया हुआ था। किसानों की जरूरत को लेकर पंप कैनाल चलाने के लिए पत्र भी लिखा गया था, लेकिन वहां से आदेश नहीं आया है। अब दो दिन में पंप कैनाल चलाई जाएगी।-जेपी वर्मा, अधिशासी अभियंता,निचली गंगा नहर