
फतेहपुर(नि.सं.),/
तत्कालीन जिला अधिकारी अपूर्वा दुबे के फर्जी हस्ताक्षर वाले वायरल हुए पत्र काण्ड को सात माह हो गये किन्तु इस हाईप्रोफाइल प्रकरण को लेकर प्रशासनिक जिम्मेदारों के बीच जिस तरह का सन्नाटा पसरा है, उससे इसके रहस्य पर से पर्दा उठने की सम्भावना काफी कम हो चली है। सवाल बड़ा है कि जब डीएम के तथाकथित फर्जी हस्ताक्षरित पत्र का मसला दब सकता है तो बुलडोजर बाबा के राज में क्या कुछ अंधेरगर्दी नहीं हो सकती।
उल्लेखनीय है कि विगत 30 जुलाई को तत्कालीन डीएम अपूर्वा दुबे द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र का जिन्न ठीक उस समय बाहर आया था जब उनका शासन से स्थानांतरण आदेश जारी हो चुका था और पत्र के वायरल दिवस को उन्हें जनपद का चार्ज छोड़ना था। इस पत्र में 29 जुलाई की तारीख में उनके हस्ताक्षर थे।
इस पत्र ने कुछ समय के लिये आम जनमानस, मीडिया और प्रशासनिक तपके को न सिर्फ सकते में डाल दिया था, बल्कि हड़कम्प मच गया था। क्योंकि पत्र में स्पष्ट आदेश का सीधे-सीधे ताल्लुक जनपद के प्रथम नागरिक (जिला पंचायत अध्यक्ष)/वरिष्ठ भाजपा नेता अभय प्रताप सिंह “पप्पू” से सम्बंधित था, इसलिये हड़कम्प मचना लाजिमी भी है।
आनन-फानन में प्रशासन ने बाकायदे वक्तव्य जारी करकें इस पत्र को फर्जी करार दे दिया और अगले दिन जिले की बागडोर सम्भालने वाली नवागत डीएम श्रुति ने इस पत्र से जुड़े सम्पूर्ण प्रकरण की जाँच कराने और बाकायदे जाँच टीम गठित करने की बात तक कही। इस हाईप्रोफाइल प्रकरण के पाँच माह हो चुके है किन्तु रहस्य पर पर्दा अभी भी पड़ा हुआ है। न जाँच टीम का कही अता-पता है और न मामले से जुड़े राज पर से ही पर्दा उठ सका है, जबकि इस पत्र को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल करने वालों में सत्ता पक्ष से जुड़े कुछ हाईप्रोफाइल लोग भी शामिल थे। इतना ही नहीं इस फर्जी पत्र का ताल्लुक कहीं न कहीं जिम्मेदारों की सीट के इर्द-गिर्द रहने वालो से भी जुड़े होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सवाल यह उठता है कि जब डीएम के फर्जी हस्ताक्षरित पत्र को लेकर जिम्मेदार इतने संवेदनहीन हैं, तो आम व्यक्ति से जुड़े मसलों का हश्र क्या होता होगा। बुलडोजर बाबा के राज में गम्भीर प्रकरणों के बाबत भी जिस तरह से हीला-हवाली का दौर जारी है, उससे ऐसे मामलों की निकट-भविष्य में पुनरवृत्ति की सम्भावनाएँ बलवती है। सवाल यह भी बड़ा है कि क्या तत्कालीन डीएम अपूर्वा दुबे के तथाकथित फर्जी हस्ताक्षर वाले हाईप्रोफाईल पत्र का रहस्य, रहस्य ही रह जायेगा या फिर व्यवस्था पालक बुलडोजर बाबा के राज की मौजूदगी का अहसास करा पायेंगे।
इस मामले में सूत्रों का मानना है कि प्रकरण में पेंच गहरे होने से जाँच पर पर्दा पड़ा हुआ है। अगर जाँच रिपोर्ट बाहर आ जाए तो कइयों पर बड़ी कार्यवाही हो सकती है। एक लेखपाल की भूमिका कुछ ज्यादा चर्चा में है।