
फतेहपुर/संवाददाता,/
-सूबे की जेलों में गैंगस्टर्स को सहुलियतो में फतेहपुर जेल का भी जुड़ा नाम।
-गैंगस्टर शैलेन्द्र सिंह उर्फ राजू यादव की गुरूवार को जेल से हुईं थी संदिग्ध परिस्थितियों में रिहाई, वादियों ने की जॉच की मांग।
-जेल प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, जान का बताया खतरा, किसी अन्यंत्र जेल में स्थानांतरित कराने की उठाई मांग।
-गैंगस्टर के हाईप्रोफाइल ढंग की मुरीद रही है पुलिस, आनन फानन में करनी पड़ी दोबारा गिरफ्तारी।
हाल के वर्षो में सूबे की विभिन्न जेलों में गैंगस्टर्स के लिए सहुलियते मुहैय्या होने के खुलते रहे सनसनीखेज मामलों में एक नाम “फतेहपुर जिला कारागार” का भी जुड़ रहा है। जिस तरह से मानव तस्करी के एक हाईप्रोफाइल अभियुक्त को गुरूवार को “गैगेस्टर ऐक्ट” की रिमांड को छिपाकर अन्य मामलों में मिली जमानत के बाद रिहा किया गया, उसकी चर्चा-ए- आम है। इससे पहले कि मामला प्रशासन के गले की हड्डी बनता, कोतवाली पुलिस ने उपरोक्त गैंगस्टर को गिरफ्तार कर लिया किन्तु इस एक मामले ने पिछले कुछ माहों में मुख्तार-असरफ आदि गैंगस्टर्स के मामलों को लेकर चर्चा में रहीं सूबे के विभिन्न जेलो सरीखी व्यवस्था यहां भी होने की बानगी अवश्य पेश की हैं।
गौरतलब है कि हाईप्रोफाइल ठग और अब जिला प्रशासन द्वारा गैंगेस्टर ऐक्ट तामील कराए जाने के बाद दर्जनों बेरोजगार युवाओं और उनके अभिभावकों से करोड़ों की उगाही करने वाले चर्चित ठग शैलेन्द्र सिंह उर्फ राजू यादव को छः माह दस दिन बाद गुरूवार को देर शाम जिला जेल से अत्यन्त संदिग्ध परिस्थितियों में रिहा किया गया। इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। मानव तस्करी समेत विभिन्न धाराओं से सम्बन्धित चार अलग-अलग वादों में उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद एक परवाने के आधार पर तो उसे रिहा किया जाता है किन्तु उसके कुछ घण्टे पहले जारी जारी गैंगेस्टर ऐक्ट के “रिमांड” का संज्ञान जिला कारागार प्रशासन ने किन परिस्थितियों में नहीं लिया यह अपने आप में सोचनीय विषय बना हुआ है।
आपको बताते चलें कि शैलेन्द्र सिंह उर्फ राजू यादव व सह आरोपी आशुतोष सिंह उर्फ शिवम् पर गैंगेस्टर ऐक्ट के तहत अपराध संख्या – 353/2023 की पत्रावली में जिलाधिकारी के हस्ताक्षर विगत 24 मई की रात में होते हैं और 25 मई को स्थानीय गैंगेस्टर कोर्ट में कोतवाली पुलिस इसका तामीला भी करवा देती है और दोनों को अगली सुबह यानी 26 मई को कोर्ट में पेश करने का बाकायदे रिमांड भी जिला कारागार को भेज दिया जाता है, बावजूद इसके पूर्व में अन्य अपराधो में उच्च न्यायालय से मिली जमानत के बाद राजू यादव को देर शाम जेल से किन परिस्थितियों में रिहा किया जाता है, यह अपने आप में बड़ी जांच का विषय अवश्य है।
सूत्रों के मुताबिक मानव तस्करी के मामले के वादी की दूरदर्शिता के चलते राजू जेल से रिहा तो हुआ किन्तु आनन फानन में हरकत में आए पुलिस प्रशासन ने कुछ ऐसा ताना बाना बुना कि जेल से निकलते ही उसे पुनः गिरफ्तार कर लिया गया। यह अलग बात है कि पुलिस उसकी गिरफ्तारी उद्देश्यपूर्ण ढंग से स्थानीय रेलवे स्टेशन से दिखा रहीं हैं…। आज जेल से शिवम् को और कोतवाली पुलिस द्वारा राजू यादव को स्थानीय गैंगेस्टर कोर्ट में पेश किया गया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया।
उधर शैलेन्द्र सिंह उर्फ राजू यादव द्वारा ठगे गए मु.अ.सं. 07/2021 के वादी अमित शुक्ला पुत्र सुरेश शुक्ला एवं लगभग ऐसे ही एक अन्य मुकदमें के वादी अभिषेक त्रिपाठी पुत्र शंकर त्रिपाठी आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत इलाहबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सूबे के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक समेत आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों को एक शिकायतीपत्र भेजकर जिला कारागार में बन्द गैंगस्टर्स व अपराधियों कोर वीवीआईपी सहूलियते मुहैय्या होने और गुरूवार की घटना का विस्तार से उल्लेख किया है। उपरोक्त शिकायतीपत्र में जेल में बंद होने के बावजूद राजू यादव की अपराधिक गतिविधियां संचालित होने और पुनः उससे जान का खतरा बताया गया है। शिकायतकर्ताओं ने जिला जेल प्रशासन को आरोपित करते हुए शासन प्रशासन से राजू यादव को प्रदेश की किसी अन्य जनपद की जेल में स्थानांतरित कराने की पुरजोर मांग की है। साथ ही गुरूवार को राजू की हुईं संदिग्ध रिहाई की उच्च स्तरीय जांच कराने की भी मांग की गई है।