
फतेहपुर/संवाददाता,/
मिश्रा युग समाप्त,पाल युग की शुरुआत। जी हां हम भारतीय जनता पार्टी के संगठन के युग की बात कर रहे हैं। तीन साल से अधिक मिश्रा युग की जब भी चर्चा होगी तो तमाम अच्छाइयों के साथ कुछ कमियो की भी चर्चा होगी। इस मिश्रा युग ने कई उतार चढ़ावों को देखा है। स्थानीय निकाय का चुनाव हो या फिर विधानसभा का चुनाव सभी में गुटबाजी के बाद भी केंद्र व प्रदेश में बैठे नेताओं के आशा के अनुरूप खरा उतरने की कोशिश की। यह राजनीति है जनाब यहां सबको खुश रखना संभव नहीं होता। अपेक्षाओं का जिस तरह से बोल वाला होता है उसमें संगठन को एक सूत में पिरोए रखना किसी कला से कम नहीं होता। जो मिश्रा युग में साफ दिखाई दिया। संगठन हर समय नेतृत्व के साथ क़दम से कदम मिला कर चलता नजर आया। जिसके कारण जो भी लक्ष्य हाई कमान से प्राप्त होता रहा उसे पूरा करने में किसी भी प्रकार की दिक्कतें बाधा नहीं डाल सकी।
भाजपा में पाल युग की कल यानी 18 सितंबर से विधवत शुरुआत हो चुकी है। शुभकामनाओं के साथ भरपूर सहयोग देने के वादे भारी हुजूम के बीच किये गए। नए पुराने व वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता भी मौजूद थे। सभी की मौजूदगी इस बात के साफ संकेत दे रहे थे कि हम सब एक साथ हैं। ऐसा नहीं है कि इस युग की शुरुआत करने वाले मुख लाल पाल फतेहपुर जनपद की स्थिति से वाकिफ न हो। भले ही नए कार्यकर्ताओं से अपरिचित हो लेकिन वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं से उनका पुराना नाता है। जिला अध्यक्ष का ताज पहनने से साथ उनके सामने 2024 में होने वाले लोकसभा का चुनाव सबसे बड़ी परीक्षा होगी। इस परीक्षा में यदि सफल होना है तो नए पुराने कार्यकर्ताओं को एक साथ एक मंच पर लाना होगा। सवाल शुभकामनाओं के साथ पूछा जाना चाहिए कि क्या पाल युग में गुटबाजी का अंत हो पाएगा।