पहाड़ी (चित्रकूट), संवाददाता।
श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता के साथ रविवार को श्रीमद् भागवत कथा का समापन हो गया। भावपूर्ण कथा सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो गए। श्रीमद्भागवत कथा व्यास जगन्नाथ पीठाधीश्वर राघव दास महाराज अयोध्या धाम ने कहा कि अगर व्यक्ति भूलवश कुछ दिनों की कथा सुनने में रह जाता है। तो अंतिम दिन की कथा सुन लेने से श्रीमद्भागवत कथा का पूरा फल प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में मनुष्य शब्दों को भूल चुका है। इस संसार में आकर जिस तरह जीने के लिए भोजन की आवश्यकता है। ठीक उसी प्रकार भजन की जरूरत है। भजन का कोई विकल्प नहीं है। मृत्यु मंगलमय बन जाए इसलिए श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। मृत्यु को मंगलमय बनाने का नाम ही भागवत है इंद्रियों द्वारा श्रीकृष्ण रस का पान करती हैं। गोपिया। इसलिए इनको गोपी कहते हैं। गोपियां अपने इंद्रियों से के श्रीकृष्ण रस का पान करती है भक्ति अलौकिक दिव्य रहे। जो आंख, कान, जीभ, मन से भक्ति करें जो अपनी प्रत्येक इंद्री को भक्ति रस में डुबो दे। उसे गोपी कहते हैं। गोपी ने मन से सर्वस्व त्याग कर दिया है और मन में परमात्मा का स्वरूप स्थिति कर लिया है। गोपियों का शरीर भगवान का सतत ध्यान करने से भगवान जैसा दिव्य बन गया है। कुछ लोगों का मानना है कि भगवान के रामवतार में उन्हें देख कर मुग्ध होने वाले दण्डवकन के ऋषि मुनी जो भगवान का आलिंगन करना चाहते थे। बड़ी तपस्या करके भगवान से वर पाकर गोपीरूप में अवतीर्ण होने का सौभाग्य प्राप्त किया था। हनुमान मंदिर नांदी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथा व्यास जगन्नाथ पीठाधीश्वर राघव दास महाराज अयोध्या धाम ने बताया कि मुख से व्यक्ति अपने चरित्र एवं व्यक्तित्व के कारण महान बनता है। संसार में व्यक्ति की नहीं व्यक्तित्व एवं चरित्र की पूजा होती है। कथा का विस्तार करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता का वर्णन किया कहा कि जीवन में जब परमात्मा से सब कुछ छोड़कर मिलने जाता है। तो प्रभु उसे अपना सर्वस्व समर्पित कर देते कथा के अंत में राजा परीक्षित को ज्ञान यज्ञ कथा सुनाकर सुखदेव जी ने विदाई लिया। इस कथा के दौरान हनुमान मंदिर नांदी महन्त महेन्द्र दास महराज, महन्त राम लोचन दास श्रीराम जानकी मठ ट्रस्ट अस्सी घाट वाराणासी, महामण्डलेश्वर राम दिनेश दास महराज मिथला, जगदेव दास महाराज जनकपुर नेपाल, आचार्य रामजस, पूर्व विधायक दिनेश मिश्रा, पण्डित अनूप शास्त्री, हारमोनियम मे महावीर दुबे, पैड वादक भैया प्रशांत पटेल, तबला मे रामजी महाराज सहित हजारो श्रोतागण एवं दर्शक मौजूद रहे।