फतेहपुर, संवाददाता।
इमाम आली मुकाम सैयदना हजरत इमाम हुसैन अलै. के बहत्तर साथियों को कर्बला के मैदान में तीन दिन का भूखा व प्यासा शहीद कर दिया गया और उनके परिवार की औरतों व बच्चों को यजीदी फौज ने कैद कर शाम (सीरिया) में एक वर्ष तक कैद रखा और जब एक वर्ष बाद लुटा हुआ काफिला शाम (सीरिया) से छूटकर मदीने आया उसी लुटे हुए काफिले की याद में परंपरा के अनुसार मोहल्ला कजियाना (चूड़ी गली) इमाम बारगाह मुख्तार नकवी मरहूम से सुबह सात बजे निकल कर निर्धारित रास्तों से होता हुआ मुस्लिम चौक, एमआईसी स्कूल के रास्तों से होकर दोपहर बाद बिंदकी बस स्टाप स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस में बिला तफरीक मजहब व मिल्लत के लोगों ने शिरकत कर इमाम आली मकाम को भावभीनी श्रद्धांजलि आंसुओं के साथ पेश की। जुलूस में जाकिरे अहले बैत यावर मेंहदी एडवोकेट ने यजीदी जुल्म की दास्तान बयान किया। दलालों की मस्जिद के पास हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सै. आबिद रिजवी ने आतंकवाद के खिलाफ बोलते हुए कहा कि इस्लाम धर्म में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। इस्लाम अमन व आतिशी का मजहब है। यजीद के आतंकवाद के खिलाफ यह जुलूस ताजिए आलम हम विरोध प्रकट करने के लिए ही सड़कों पर लाते हैं। ताकि आतंकवादी प्रवृत्ति के लोग यजीद के अनुयायी पहचाने जाएं। जो लोग इस्लाम के नाम पर बेगुनाह लोगों का खून बहाते हैं उनका इस्लाम से कोई सरोकार नहीं है। वह इस्लाम को बदनाम करने के लिए इस्लाम का चेहरा लगाकर आए हैं मुसलमानों को उनसे होशियार रहना चाहिए। मौलाना सै. फैसल रिजवी ने भी आतंकवाद के खिलाफ अलम व ताजिये को एहतेजाजी जुलूस बताया। कर्बला में ढाए गए जुल्म की दास्तान बयान की। उन्होने कहा कि हजरत हुसैन वारिसे रसूल थे, इसलिए उन्होने अपने नाना के दीन को बचाने के लिए अपना भरा घर लुटा दिया। हक और अहिंसा की ऐसी मिसाल दुनिया कभी न ला सकेगी। महात्मा गांधी ने अहिंसा का सबक कर्बला से सीखा है। ऊंची मस्जिद के पास तकरीर करते हुए हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सै. अली मुरतुजा रायबरेली ने इस्लाम व उसके उसूलों को बयान किया और कहा कि कर्बला में हक व सदाकत चलने का संदेश देती है। रायल टेलर व दहाना की बिल्डिंग के पास जाकिरे अहलेबैत मौलाना सै. फिरोज हैदर रिजवी कानपुर व मौलाना सै. अहमद रजा बिजनौरी ने भी कर्बला की कथा सुनाई जिसे सुनकर लोगों की आंखे नम हो गईं। एमआईसी मैदान के पास से अंजुमने जाफरिया व अंजुमने अब्बासिया फतेहपुर ने नौहा ख्वानी व सीनाजनी किया। अलविदाई नौहा पढ़कर कर्बला में जुलूस को समाप्त किया। जुलूस का प्रबंध सैय्यद कसीम अब्बास नकवी मुतवल्ली ने किया। सहयोग में सैय्यद मो. मुख्तार नकवी भी शामिल रहे। जुलूस में सै. नाजिश रजा एडवोकेट, सै. फैजान हैदर रिजवी, सै. शिराज हैदर नकवी, सै. कलीम अब्बास नकवी, सै. अदील नकवी, सै. अब्बास मेंहदी, फैयाज अख्तर, फरहत अली, मो. अकबर, सै. अनवार जैदी, भी मौजूद रहे। जुलूस के दौरान ताजिया व अलम इंतेजामिया कमेटी ने भी शिरकत की। जिसमें अध्यक्ष मोईन चौधरी, जनरल सेक्रेटरी वारिस उद्दीन, शब्बीर अहमद, मो. चाचा, शमी खां, कफील अहमद, फरीद खां, रियाज अहमद, लालू राईन, हाजी कासिम, हाजी खुर्शीद, खलील खां भी शामिल रहे।