फतेहपुर, संवाददाता।
अंर्तराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर परिषदीय विद्यालयों में साक्षरता रैली निकाली गई। जिसके माध्यम से बच्चों एवं शिक्षकों ने लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक किया। वहीं निरक्षर से साक्षर बने करीब 2000 लोगों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित परिषदीय स्कूलों में रविवार को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालयों में रैली एवं प्रभात फेरी निकाली गई। विद्यालयों में निबंध प्रतियोगिताएं एवं चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों में 2000 से अधिक नवसाक्षरों को साक्षर होने का प्रमाण पत्र वितरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में साक्षरता सप्ताह के अंतर्गत निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई। बीआरसी स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें निरक्षरों को साक्षर कर शिक्षा के मुख्य धारा से जुड़ने का आवाहन किया गया। साथ ही नवसाक्षरों को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। उप शिक्षा निदेशक, डायट प्राचार्य संजय कुशवाहा के निर्देशन में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अंतर्गत साक्षरता सप्ताह 1 सितंबर से 8 सितंबर तक डायट में मनाया गया। साथ ही सभी प्रशिक्षु को अवगत कराया गया कि उल्लास ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड करके सभी को जागरूक करें और वॉलिंटियर्स (स्वयंसेवी) भी अपने आस-पास अपने गांव में सब जगह तैयार करें। जिससे कि हमारे समाज में साक्षरता अभियान को आसानी से प्रचार-प्रसार के माध्यम से सभी लोगों तक पहुंचाया जा सके और नवभारत साक्षरता अभियान कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के सभी प्रशिक्षु निबंध प्रतियोगिता में प्रतिभाग किए और साथ ही सभी प्रशिक्षुओं द्वारा स्व-रचित स्लोगन भी साक्षरता अभियान के लिए तैयार किया गया।
धीमी पड़ रही साक्षर बनाने की मुहिम
15 वर्ष से अधिक निरक्षरों को साक्षर बनाने की मुहिम धीमी पड़ती नजर आ रही है। 2018 में निरक्षरों के लिए डेडीकेटेड लोक शिक्षा केन्द्रों को बंद कर दिया गया। अब पहले से ही तमाम गैर शैक्षणिक कार्यों से जूझ रहे बेसिक शिक्षकों को यह कार्य थमा दिया गया है। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि साक्षरता मिशन को कैसे अंजाम दिया जाएगा।
वर्ष 2012 से शुरू हुआ था अभियान
साक्षर भारत मिशन के अन्तर्गत 2012 में लोक शिक्षा समिति का गठन कर प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक लोक शिक्षा केन्द्र की स्थापना की गई थी। प्रत्येक लोक शिक्षा केन्द्र पर दो प्रेरक नियुक्त किए गए थे। इन प्रेरकों का कार्य 15 से 65 वर्ष की आयु के निरक्षरों को चिन्हित कर उन्हें साक्षर बनाना था। नियमित अंतराल पर निरक्षरों की परीक्षा आयोजित कर उन्हें साक्षर बनाया जाता था। प्रेरकों को दो हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय भी दिया जाता था लेकिन 2018 में इस योजना को बंद कर दिया गया।