फतेहपुर संवाददाता।
फतेहपुर जिले के खागा कोतवाली क्षेत्र स्थित एक विद्यालय में बड़ी हृदय विदारक घटना बीते 25 सितंबर को पूर्वान्ह करीब 11 बजे के आसपास घटित हुई। इस घटना ने केवल एक विद्यालय के मैनेजमेंट पर सवाल नहीं खड़े किए, बल्कि पूरे सिस्टम को हासिये पर लाकर खड़ा कर दिया है जी हां हम खागा नगर के शहजादपुर मोहल्ले में स्थित सरस्वती बाल मंदिर इंटर कॉलेज में कक्षा 12 में पढ़ने वाली छात्रा की मौत पर चर्चा कर रहे हैं। वैसे तो सरस्वती बाल मंदिर विद्यालय की कई शाखा फतेहपुर जिले के विभिन्न कस्बा एवं शहर में स्थित है, जहां पर आए दिन किसी न किसी छात्र-छात्रा के साथ दुर्व्यवहार की खबरें चर्चा में बनी रहती है।
किशनपुर थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली कक्षा 12वीं की छात्रा ने आखिर अपनी जान देने का इतना बड़ा निर्णय किस मजबूरी में लिया इस बात से पूरी तरह स्थिति साफ होनी चाहिए, क्योंकि स्कूल मैनेजमेंट द्वारा जो बताया गया है वह पूरी बात हजम नहीं होती। उस छात्रा के साथ ऐसा जरूर कुछ हुआ जिसके बाद जान देने का बड़ा कठिन निर्णय बेटी को लेना पड़ सबसे बड़ा सवाल यह है कि मृतक छात्रा के माता-पिता को भी बेटी की मौत को लेकर आधी-अधूरी जानकारी ही प्राप्त है। अगर छात्रा की मौत को लेकर उच्च स्तरीय जांच की जाए तो अभी कई ऐसे पहलू है जिनसे पर्दा उठना बाकी है कहते हैं कि जान देना इतना भी आसान नहीं होता। केवल एक ड्राइवर द्वारा छेड़खानी और स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा छात्रा की पिटाई जैसा साधारण मामला होता तो शायद बेटी छत से कूद कर जान देने जैसा संकल्प कभी भी ना लेती।
हादसे के करीब 70 घंटे बाद उपचार दौरान बेटी की मौत के बाद राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए पहुंचे लोग आज जब विद्यालय प्रबंध तंत्र एवं पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हैं तो बड़ा हास्यास्पद प्रतीत होता है। अगर घटना के बाद जिले के नेता एवं जनप्रतिनिधि बेटी के बेहतर उपचार एवं न्याय दिलाने के लिए इतने सजग होते तो शायद वह आज हम सब के बीच होती। हजारों नम आंखों के बीच बेटी के शव को कांधा देने के लिए होड़ जैसी मची रही। किंतु जब इंसाफ दिलाने की बात होती है तो इन्हीं लोगों के बीच अपने को जनता का सेवक बताने वाले कई अलंबरदार मुंह मोड़े भी दिखाई देते हैं। सूत्र बताते है कि वैसे यह विद्यालय छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार को लेकर हमेशा से चर्चा में बना रहता है, लेकिन इस विद्यालय के मैनेजमेंट पर लगाम कसने के नाम पर ना तो जिला बेसिक शिक्षा विभाग और न ही जिला विद्यालय निरीक्षक विभाग इस ओर ध्यान देता है। कभी फीस के नाम पर तो कभी परीक्षा शुल्क के नाम पर इस विद्यालय द्वारा अभिभावकों का शोषण जारी रहता है। इतना ही नहीं स्कूल छोड़ने के बाद अंक पत्र, प्रमाण पत्र तथा टीसी में काउंटर साइन कराने के नाम पर भी जमकर उगाही की जाती है। अगर कोई अभिभावक अपने बेटे एवं बेटी के लिए आवाज उठाने का प्रयास करता है तो पहले विद्यालय प्रबंध तंत्र द्वारा उसका मुंह बंद करने का प्रयास होता है और जब बात इतने पर भी ना बने तो अन्य तरह के हथकंडे भी अपनाये जाते हैं।
अब बारी आती है बेटी को न्याय दिलाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पुलिस की, इस मामले में ऊंचे रसूख के विद्यालय मैनेजमेंट को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने करीब 24 घंटे बाद मुकदमा दर्ज किया, जबकि बेटी द्वारा स्कूल की दूसरी मंजिल से कूदने का वीडियो सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से वायरल हो चुका था। इतना ही नहीं कई मीडिया संस्थानों की यह घटना खबर भी बन चुकी थी। इन सब के बावजूद 26 सितंबर की शाम प्रयागराज जनपद से जब बेटी के मौत को लेकर एक फर्जी खबर वायरल हुई तो एंबुलेंस द्वारा कोतवाली पहुंचे परिजनों की तहरीर मिलने पर पुलिस ने स्कूल बस चालक एवं प्रधानाचार्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया। मुकदमा दर्ज करने के दूसरे दिन पुलिस ने आरोपी बस चालक को तो हिरासत में ले लिया, किंतु प्रधानाचार्य को गिरफ्तार करना भूल गई। इस मामले में बताया जाता है कि प्रधानाचार्य अभी फरार चल रहे हैं और सीओ खागा की निगरानी में प्रधानाचार्य की गिरफ्तारी को लेकर छापा मारा अभियान जारी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस मामले पर योगी बाबा का बुलडोजर कहां पर विश्राम फरमा रहा है। और वह लोग जो बात-बात पर हो- हल्ला मचाते थे आज वह भी नदारत दिखाई पड़ रहे हैं।