हथगाम/फतेहपर, संवाददाता।
हथगाम में चल रही रामलीला में बीती रात लक्ष्मण-परशुराम संवाद दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक चला दर्शकों ने भरपूर आनंद उठाया। राम की भूमिका में कृपा शंकर तिवारी, लक्ष्मण की भूमिका में रौनक तिवारी, परशुराम की भूमिका में सर्वेश पांडेय कानपुर तथा जनक की भूमिका में हमीरपुर के सुरेंद्र कुमार ने शानदार अभिनय किया।
भगवान शिव का धनुष तोड़ देते हैं तो इसकी सूचना परशुराम को मिलती है और वे क्रोधित होते हुए जनक की सभा में आ धमकते हैं। वहां जब वे राम को भला बुरा कहने लगते हैं तब लक्ष्मण से रहा नहीं जाता और फिर वे परशुराम का मजाक उड़ाते हुए उन्हें कटु वचनों में शिक्षा देने लगते हैं। इस संवाद में शील, क्रोध, संयम और वीरता का बखान होता है। बाद में श्री राम लक्ष्मण का क्रोध शांत करते हैं। श्री राम जब भगवान शिव का धनुष तोड़ देते हैं तो इसकी सूचना परशुराम को मिलती है और वे क्रोधित होते हुए जनक की सभा में आ धमकते हैं। वहां जब वे राम को भला बुरा कहने लगते हैं तब लक्ष्मण से रहा नहीं जाता और फिर वे परशुराम का मजाक उड़ाते हुए उन्हें कटु वचनों में शिक्षा देने लगते हैं। इस संवाद में शील, क्रोध, संयम और वीरता का बखान होता है। बाद में श्रीराम लक्ष्मण का क्रोध शांत करते हैं।
जिस कारण सब राजा आए थे, राजा जनक ने वे सब समाचार कह सुनाए। जनक के वचन सुनकर परशुराम ने फिर कर दूसरी ओर देखा तो धनुष के टुकड़े पृथ्वी पर पड़े हुए दिखाई दिए। अत्यन्त क्रोध में भरकर वे कठोर वचन बोले-रे मूर्ख जनक, बता, धनुष किसने तोड़ा उसे शीघ्र दिखा, नहीं तो अरे मूढ़ आज मैं जहां तक तेरा राज्य है,वहां तक की पृथ्वी उलट दूंगा। तब श्री रामचन्द्र सब लोगों को भयभीत देखकर और सीता जी को डरी हुई जानकर बोले-उनके हृदय में न कुछ हर्ष था न विषाद। हे नाथ शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा। क्या आज्ञा है, मुझसे क्यों नहीं कहते यह सुनकर क्रोधी मुनि रिसा कर बोले,सेवक वह है जो सेवा का काम करे। शत्रु का काम करके तो लड़ाई ही करनी चाहिए। हे राम सुनो जिसने शिव जी के धनुष को तोड़ा है, वह सहस्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। वह इस समाज को छोड़कर अलग हो जाए, नहीं तो सभी राजा मारे जाएंगे।