फतेहपुर/संवाद सूत्र
-कहीं प्रतिष्ठित व्यक्ति की छवि धूमिल करने का षड़यंत्र तो नही जा रहा रचा।
-मामले को बिना मतलब तूल देने में जुटे कुछ लोग,बिना जांच के ही लेखपाल ने दर्ज करा दिया मुकदमा।
-न्याय की आस में दर-दर की ठोंकरे खा रहे पीड़ित,विवेचक से मिलकर उपलब्ध कराये जमीनीं दस्तावेज।
एक बार फिर जमीन पर अवैध कब्जे का जिन्न अचानक खबरों की सुर्खियों मेें छाया हुआ है। इस मामले को लेकर जब आपकी खबरें न्यूज टीम ने गहनता से जांच-पड़ताल की तो मामला ही कुछ और निकला और यह प्रतीत होता नजर आया कि कहीं न कहीं यह पूरा प्रकरण एक षड़यंत्र के तहत सजाया जा रहा है। इस मामले में जब पीड़ित पक्ष के दस्तावेजात देखे गये तो पूरा प्रकरण पूरी तरह से उल्टा ही निकला। आज कल सुर्खियों में छायी खबरों की जब गहनता से पड़ताल की गयी तो पता चला कि सन् 1980 में हाईवे निर्माण के लिए जिन जमीनों का सरकार द्वारा अधिगृहण किया गया था उसके हिसाब से गाटा संख्या 301 निजी सम्पत्ति में दर्ज है। 301 मि0 जुमला नम्बर जिसकी 01 बीघा 02 बिस्वा बाईपास के नाम खतौनी में दर्ज है व 03 बीघा 18 बिस्वा काश्तकार के नाम दर्ज है। अब सोचनीय विषय है कि जब 301 गाटा संख्या से 01 बीघा 02 बिस्वा जमीन से एनएच-19 का निर्माण किया जा चुका है तो शेष 301 गाटा संख्या की जमीन रोड पर होना लाजमी है। जिन तथ्यों को लेकर इतना हो हल्ला मचाया जा रहा है उसकी वास्तविकता पर जाये तो एनएच-19 के चैड़ीकरण (06 लेन) के दौरान 301 मि0 0.246 हे0 पुनः अधिग्रहित किया जा रहा है। अगर इस बिन्दु पर भी गौर किया जाए तो यह साफ हो जाता है कि 301 मौजूदा समय मेें रोड से लगा हुआ है। कुल मिलाकर कस्बा फतेहपुर उत्तरी में दर्ज जमीन गाटा संख्या 301 मि0 में कब्रिस्तान का जिक्र किया जाना ही गलत है।