वाराणसी/नि.सं.
तुलसीदास जी के द्वारा काशी में नागनथैया के आयोजन की परंपरा शुरू हुई जो अनवरत आज तक जारी है। प्रसिद्ध तुलसीघाट की नाग नथैया बुधवार को काशी में मनाई गई। इस आयोजन में जहां प्रशासन की ओर से कोविड-19 नियमों का पालन करने की अपील की गई है वहींं आयोजन में काशी नरेश भी शामिल हुुुए और परंपरा के अनुरूप आयोजन के लिए उन्होंने सोने की गिन्नी बतौर भेंट भी दिया। बुधवार की सुबह से ही गंगा तट स्थित तुलसीघाट पर आयोजन की तैयारियां शुरू हुईं तो साफ सफाई से लेकर आस्थावानाें का भी जमावड़ा शुरू हो गया। काशी के लक्खा मेलों में से एक नाग नथैया 2020 का आयोजन माना जा रहा था कि कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ जाएगा। हालांकि, जिला प्रशासन ने कोविड नियमों के अनुपालन के साथ आयोजन को हरी झंडी दी तो उत्सव प्रिय काशी में नाग नथैया की तैयारियां शुरू हो गई थीं। दोपहर बाद गंगा बनेंगी कालिंदी तो नटवर नागर कालिय नाग का मर्दन करेंगे। परंपराओं के अनुसार गेंद खेलते समय नदी में जाएगी और नटवर नागर नदी में कूद कर कालिय नाग के फन को नाथने के बाद उस पर मुरली की धुन बजाते हुए लीला करेंगे तो काशी में गंगा तट हर हर महादेव के साथ ही जय कन्हैया लाल की से गूंज उठता है। बुधवार की सुबह से ही आयोजन की तैयारियां शुरू हुईंं तो कालिय नाग का प्रतीक गंगा के तट पर लाने के साथ ही आयोजन को गति मिली।दोपहर बाद गंगा में गेंद निकालने उतरे नटवर नागर ने गेंद निकालने के साथ कालिय नाग को नाथा तो घाट पर मौजूद भीड़ हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की के साथ हर हर महादेव के नारे लगाने लगी। तुलसी घाट पर आस्था का रेला उमड़ा तो काशी में कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच पहला बड़ा लक्खा मेला देखने लोग घाट पर भी उमड़े। मेले में सतर्कता के बीच नदी में जल पुलिस की तैनाती रही और गोताखोर भी लगातार सुरक्षा की दृष्टि से सक्रिय रहे।
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December 6, 2023