फतेहपुर/संवाद सूत्र
-बेपटरी हुई स्वास्थ्य सेवाओं से भी ना लिया सबक तो भुगतना पड़ सकता है खामियाजा।
-सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क लगाने के प्रति लापरवाह होते जा रहे लोग।
-लाक डाउन के बावजूद बाज़ारो में उमड़ रही भीड़ बजा रहीं खतरे की घंटी।
-पुलिस व प्रशासनिक जिम्मेदारों ने भी मूंदी आँखे, कैसे साकार होगा “हम जीत रहे, जीतेंगे” का नारा।
-डीएम अपूर्वा दुबे शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए जनमानस से कर रहीं अपील।
कोविड-19 की दूसरी लहर ने जहां पूरे भारतवर्ष को हिला कर दिया। वही बढ़ते कोरोना वायरस के मामले एवं उसकी बदौलत हो रही मौतों से भी जनपद वासियों ने सीख नहीं ली। प्रदेश की योगी सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन का अक्षरश: पालन होते कहीं भी नजर नहीं आता। इन सबके बीच मार्गो में निकलने वाले ज्यादातर लोग ना तो सोशल डिस्टेंसिंग पर ध्यान देते दिखते हैं और ना ही मुंह पर मास्क लगाकर निकलना उचित समझते हैं। जिसकी बदौलत एक बार फिर कोरोना की दस्तक तेजी के साथ लोगों की परेशानी बढ़ाने का काम करें तो इसमें किसी भी प्रकार की अतिश्योक्ति ना होगी। कोविड-19 के प्रति लापरवाह होते लोग और बेपरवाह होकर दुकानों में भीड़ जुटाने वाले व्यापारी इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं दिख रहे हैं। जिस तरह से बाजारों में दो पहिया एवं चार पहिया समेत साइकिल एवं पैदल निकलने वाली भीड़ नजर आ रही है वह चिंता का विषय है। इन सबके बीच एक बात और भी गौर करने वाली है कि बाजार में उमड़ने वाली भीड़ व व्यापार करने वाले दुकानदार कोविड-19 के प्रति इतने बेपरवाह क्यों हो गए हैं। कोविड-19 महामारी की वजह से अपनी जान गंवा चुके लोगो के परिजन इस दर्द को चाहे भली-भांति महसूस कर रहे हैं, किंतु उनके आस-पड़ोस में रहने वाले लोग जरा सा भी गंभीर दिखाई नहीं पड़ते। ऐसा नहीं है कि उन लोगों को अपनी व अपने परिवार के सुरक्षा की चिंता नहीं है, किंतु कहीं ना कहीं रोजी-रोटी भी बड़ा मुद्दा है। जिसकी वजह से वह न चाहकर भी बाजारों में निकलने के लिए मजबूर नजर आते हैं। जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे द्वारा कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए लगातार युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। चाहे स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का मुद्दा हो या फिर 45 की उम्र पार कर चुके लोगो के शत-प्रतिशत टीकाकरण की बात हो वह हर मामले पर बड़ी गंभीर दिखती हैं, और लगातार लोगों से बिना काम घर से ना निकलने, सोशल डिस्टेंसिंग का अक्षरश: पालन करने, घर से निकलते वक्त मास्क का प्रयोग करने, अनावश्यक बाजारों व मार्गो पर न घूमने, व्यापारी वर्ग से लॉक डाउन के दौरान दुकानें बंद रखने, छूट के समय में दुकान खोलने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क लगाने वालों को ही सामानों की बिक्री करने की लगातार अपील कर रही हैं, किंतु कोविड-19 के प्रति बेपरवाह हो चुके लोग जिलाधिकारी की अपील को अनसुना कर अपने कार्यों में लगे हुए है। एक बात और गौर करने वाली है कि बाजार में उमड़ी भीड़ एवं छूट न मिलने वाली दुकानें भी लॉकडाउन के बावजूद खुलती नजर आती हैं। जहां पर बड़े पैमाने पर भीड़ पहुंचती है और लोग लापरवाही के साथ सामानों की खरीद फरोख्त करते हुए देखे जाते हैं। जब बाजारों व दुकानों में उमड़ने वाली भीड़ आम लोगों को नजर आ रही है तो ऐसे में लॉकडाउन को सफल बनाने का जिम्मा संभालने वाली पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी आखिर इस ओर से आंखें क्यों मूंदे हुए हैं, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।