सरेनी/रायबरेली,सं.सू.
स्वास्थ्य सेवाएं चुस्त-दुरुस्त हैं इसका दावा लगातार स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। वही झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई होगी इसका भी ढिंढोरा स्वास्थ्य महकमा पीटता चला आ रहा है। महामारी के इन दिनों स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जागरूक लोगों ने उच्च अधिकारियों से शिकायत दर्ज करानी शुरू कर दी है। परंतु आश्चर्यजनक रूप से स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी हर शिकायत पर शिकायतकर्ता को जांच का आश्वासन ही देते हैं। शहर के बीचोबीच आस्था नर्सिंग होम में एक बच्ची की मौत और डॉ0 के दुर्व्यवहार के बाद भी शायद स्वास्थ्य महकमा नहीं सुधरा है। मामला सरेनी के चंदू का पुरवा गांव में राम पॉलिक्लिनिक चला रहा झोलाछाप डॉक्टर रामबाबू का है। रामबाबु के पास डिग्री के नाम पर फार्मासिस्ट की है डिग्री और सीएससी चिकित्सा अधीक्षक डॉ0 अमल पटेल के रहमो करम पर चल रहा है यह क्लीनिक। बताते चलें कि कोरोना महामारी के दौरान तमाम चिकित्सा जगत से तथाकथित रूप से जुड़े हुए लोगों ने आपदा में अवसर तलाश लिया था और कुछ इसी तरह का अवसर उठाकर फार्मेसिस्ट यह क्लीनिक चल रही है। मजेदार बात यह है कि यह खुद ही बता रहा है कि वह फार्मेसिस्ट है और उसके रहनुमा सरकारी अस्पताल के चिकित्सक हैं। बात करने पर झोलाछाप डॉक्टर ने आगे बताया कि चिकित्सा अधीक्षक व उनकी टीम यहां आँकर बैठती है अभी 4 या 5 दिन पहले आये भी थे। वही कोरोना काल मे इन्ही झोलाछाप डॉक्टरों ने सही इलाज न करके कितने इंसानों की जान ले ली है। आपको बता दे कि सरेनी क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है और स्वास्थ्य विभाग उदासीन है। आखिर क्यों कुकुरमुत्ते की तरह चल रहे झोलाछाप डॉक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग कार्यवाही करने से घबराता है। जबकि इनके पास केवल फार्मासिस्ट की डिग्री है परंतु आम जनता को लूटने के लिए इन्होंने क्लीनिक खोल रखी है और खुद को डॉक्टर घोषित कर रखा है। यहां यह भी बताते चलें कि इससे पूर्व भी जनपद के रतापुर चौराहे पर एक फर्जी डिग्री से क्लीनिक चलाने का मामला थाने तक पहुंचा था और स्वास्थ्य विभाग ने कार्यवाही किया था। आपकी खबरे न्यूज़ के सवांददाता ने जब इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि झोलाछाप डॉक्टर ने जो सरेनी सीएससी अधीक्षक पर आरोप लगाये है वो पूर्णतया गलत है और मामले को संज्ञान में लेकर सीएचसी अधीक्षक से जांच कराने की बात कही है। अब इस मामले में क्या होता है यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन महामारी में आपदा का अवसर तलाश करने वालों की आज भी कमी नहीं है।
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