रायबरेली/विनोद यादव
सलोन तहसील प्रशासन की लचर कार्यशैली भूमाफियों के लिए वरदान साबित हो रही है सूबे की योगी सरकार कितना भी भ्रष्ट तंत्र पर लगाम लगाने हेतु तरह-तरह की युक्ति लगाए किंतु सलोन तहसील के अधिकारी शासन के जीरो टॉलरेंस की नीति को जमकर पलीता लगा रहे हैं एक तरफ जहां आए दिन जिले के आला अधिकारी एंटी भू माफिया टास्क फोर्स कि बैठकें कर सरकारी भूमि से अवैध कब्जा रुकवाने हेतु लगातार निर्देश दिया करते हैं। वही उसके विपरीत सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी लगातार भू माफियाओं को संरक्षण दे चरागाह की सुरक्षित भूमि में ही कहीं गेहूं की अवैध खेती करवाते हैं तो कहीं चरागाह की भूमि में एक साथ 6 अवैध मकानों का निर्माण करवाते हैं आपको बता दें कि मामला सलोन तहसील के अंतर्गत ग्रामसभा मटका का है। जहां पर चरागाह की लगभग 67 बीघा भूमि में सामूहिक रूप से भू-माफियों का अवैध कब्जा है। किंतु एक अचंभे की बात यह भी है कि चरागाह की लगभग 40 बीघा भूमि पर भूमाफिया सामूहिक रूप से प्रतिवर्ष धान व गेहूं की अवैध खेती कर लाखों रुपए की कमाई कर लेते हैं आए दिन एक एक कर सैकड़ों अवैध मकानों का निर्माण तहसील प्रशासन की जानकारी में हो गये वर्तमान समय में चरागाह की ही सुरक्षित भूमि में एक तरफ जहां कई बीघा गेहूं व आलू की फसल लहलहा रही है तो वहीं दूसरी तरफ एक साथ चरागाह की सुरक्षित भूमि पर लगभग 6 अवैध मकानों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। चरागाह की सुरक्षित भूमि पर हो रहे अवैध निर्माणों की खबर आपकी खबरें न्यूज़ में गहनता से चलाई थी। जिसके परिणाम स्वरूप उप जिला अधिकारी सलोन दिव्या ओझा ने सख्ती के साथ चरागाह की सुरक्षित भूमि पर बने अवैध मकानों के निर्माण कार्य को रुकवा दिया था किंतु तहसीलदार सलोन राम कुमार शुक्ला व क्षेत्रीय हल्का लेखपाल राघवेंद्र की लचर कार्यशैली के परिणाम स्वरूप चरागाह की ही सुरक्षित भूमि में ही भू माफिया पुनः लिंटर डालकर पूर्ण रूप से चारागाह की सुरक्षित भूमि में स्थाई कब्जा कर रहे हैं जिन भू माफियाओं के वर्तमान समय में चरागाह की सुरक्षित भूमि में अवैध निर्माण हो रहे हैं उन सभी भू माफियों के एक एक मकान गांव के अंदर भी मौजूद हैं। किंतु भू माफियों ने अवैध कब्जा करने के उद्देश्य से गांव के बाहर खाली पड़ी चरागाह कि सुरक्षित भूमि में पहले झोपड़ी रखकर अवैध कब्जा किया और अब वर्तमान में ग्राम प्रधान द्वारा राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाते हुए उन समस्त भूमाफियों को एक साथ प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का लाभ दे चरागाह की सुरक्षित भूमि में अवैध निर्माण करवाया जा रहा है। जिसमें सलोन तहसील प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है। चारागाह की सुरक्षित भूमि में लगातार हो रहे अवैध निर्माण तथा लहलहा रही गेहूं व आलू की फसल के पक्ष में तहसीलदार सलोन राम कुमार शुक्ला जमकर पैरवी करते हैं। यहां तक की शिकायत करने पर उच्चाधिकारियों को संतुष्ट करने हेतु सलोन तहसील प्रशासन द्वारा लगातार आख्या में झूठे तथ्य दे शासन व प्रशासन को गुमराह किया करते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप भू माफियों के हौसले और बुलंद हैं। अब यहां यह सवाल उठता है कि चरागाह कि सुरक्षित भूमि पर सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी कब तक भू माफियों से धान गेहूं व आलू की अवैध खेती करवाएंगे? व चरागाह की ही सुरक्षित भूमि पर कितने अवैध मकानों के निर्माण और होंगे? चरागाह की सुरक्षित भूमि मे अवैध कब्जा करने वाले भूमाफिया तथा सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारियों के मध्य इतनी सामंजस्यता क्यों बनी है?जिस पर चरागाह की सुरक्षित भूमि में हुए अवैध कब्जों की शिकायत करने तथा लगातार खबरें प्रकाशित होने के बावजूद सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी कुंभकरण की नींद सो रहा है। आखिर चरागाह की सुरक्षित भूमि में लगातार अवैध निर्माण करने वाले भूमाफियों पर कब होगी कार्यवाही? चारागाह की सुरक्षित भूमि में भू माफियायों से सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी कब तक करवाएंगे धान गेहूं व आलू की खेती? यह एक यक्ष प्रश्न है इस पूरे मामले से सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।
भू माफिया के खेवनहार बने तहसीलदार सलोन
यदि देखा जाए तो शुरू में जिस समय सलोन तहसील में तहसीलदार सलोन राम कुमार शुक्ला ने कार्यभार संभाला उस समय जिले में इनकी गिनती तेजतर्रार व ईमानदार अधिकारियों में होती थी भू माफियों के अंदर तहसीलदार राम कुमार शुक्ला के नाम की एक खौफ होती थी। बीते वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान इनका तबादला डलमऊ तहसील के लिए हो गया था किंतु इन्होंने एक बार पुनः तहसील सलोन का चार्ज लिया जिसके बाद से भू माफिया के प्रति इस कदर मेहरबान हुए की लगातार किसी भी मामले की शिकायत मिलने के बावजूद लेखपालों के भरोसे ही तहसील चला रहे हैं। इनके ऊपर कई ऐसे कई गम्भीर आरोप भी लगे किन्तु सांठगांठ के चलते हर मामलों में बरी होते गये पर अब चरागाह के मामले में भूमाफियों कि लगातार पैरवी करना कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। जिला मुख्यालय पर आये दिन कई ऐसे मामले आते हैं। जो कि अवैध कब्जों से ही संबंधित होते हैं किंतु अधिकांश मामलों में तहसील स्तर से आंख मूंदकर कार्यालय में बैठे-बैठे सिर्फ झूठी अख्या ही लगा दी जाती है। ग्रामसभा मटका की चरागाह के सुरक्षित भूमि में भूमाफिया द्वारा एक साथ किए जा रहे। अवैध मकान के निर्माण तथा वर्तमान में चरागाह की ही भूमि पर लाहलहा रही गेहूं आलू की अवैध फसलों में तहसीलदार सलोन राम कुमार शुक्ला की भूमिका संदिग्ध है।
जिम्मेदारी से विमुख नायब तहसीलदार तरुण
चरागाह की सुरक्षित भूमि में हुए अवैध कब्जों की शिकायत जब नायब तहसीलदार तरुण सिंह से की जाती है तो शिकायतकर्ता को ही दबाना इनकी कार्यशैली का एक अहम हिस्सा बना हुआ है। यहां तक की जब इनको फोन कर किसी मामले की सूचना दी जाती है तो अक्सर फोन पर इनका गैर जिम्मेदाराना बयाना आता है जिससे स्पष्ट है कि नायब तहसीलदार तरुण सिंह अपने दायित्व को भूल चुके हैं।
भू माफियाओं को संतुष्ट करने में कसर नहीं छोड़ते लेखपाल राघवेंद्र
सलोन तहसील में कार्यरत व ग्रामसभा मटका के हल्का लेखपाल राघवेंद्र मौर्या को जब मामले की जानकारी दी जाती है। तो वे गैर जिम्मेदाराना बयान दे पत्रकार से बोलते हैं कि तुम ही जाकर अवैध निर्माण के कार्य को रुकवा दो तथा उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जब चरागाह की सुरक्षित भूमि में पड़ने जा रहे छात को रुकवाने पहुंचे तो भूमाफिया को संतुष्ट करने हेतु अपने मोबाइल का स्पीकर खोलकर शिकायतकर्ता को फोन लगाते हुए भू माफियाओं से कहा कि हम आप के कार्य को ना रुकवायें किंतु शिकायतकर्ताओ के फोन करने पर हमें कार्य रुकवाना पड़ता है तथा फोन कर स्पीकर खोल भू माफियों को शिकायतकर्ता के पक्ष को भूमाफियों को सुनाकर शिकायतकर्ता के प्रति उकसा कर उक्त मामले को दंगे में परिवर्तित करने का भी कार्य कर रहे हैं। जो कि अत्यंत ही निंदनीय है तथा क्षेत्रीय हल्का लेखपाल राघवेंद्र मौर्या के भी कार्यशैली पर लगातार प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
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