वाराणसी/ब्यूरो
मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह मंदिर दशाश्वमेघ के कालिकागली स्थित है। भोर में मंदिर महंत रविन्द्र नारायण ने मंगल बेला में माँ को सुगन्धित इत्र, शहद, गंगा जल से स्नान करवा कर नूतन वस्त्र धारण करवाया फिर भव्य श्रंगार किया सुगन्धित फूलों को माँ को पहनाया। इसके बाद भव्य आरती उतारी आरती में डमरू दल व क्षेत्रीय नागरिक परम्परागत मौजूद रहते है आम भक्तों के लिए 5 बजे खोल दिया गया, पूरे मन्दिर को सुगन्धित फूलों चुनरी से सजाया गया था। भक्तों ने माँ नारियल तो किसी ने नीबू माला अर्पित किया। अपराह्न में भोग आरती उतारी कई भोग प्रशाद में अनेकों प्रकार के मिष्ठान व फल रहे शाम 4 बजे महंत द्वारा विशेष आरती की गई भक्तों को प्रसाद रूप में हलुआ ,फल मिस्ठान दिया गया वही देर रात तक दर्शन करने हेतु भक्त पहुचते रहे। इस बार महामारी कोविंद के चलते सुरक्षा बाबत पूरा ध्यान दिया गया था मंदिर में प्रवेश से पहले सेनेटाइजर व स्कैनिंग करा कर प्रवेश दिया जा रहा था साथ सोसल दूरी का भी ध्यान दिया गया। आदि सक्ति कालरात्रि का स्वरुप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है। कालरात्रि दुष्टों का नाश करने वाली है। दानव,दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही
भयभीत होकर भग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वालीं है।
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December 6, 2023