कासगंज,संवाद सूत्र,/
कासगंज जनपद में हुई दर्दनाक हादसे में मौत की सूचनाएं जैसे-जैसे पुष्ट होती गईं, मृतकों के परिवारों की महिलाओं के चीत्कारों और मातम से नगला कसा दहल उठा। चार गांव के लोग इस ट्रैक्टर ट्रॉली से गंगा स्नान को जा रहे थे। जिसमें नगला कसा के ही सबसे अधिक 46 लोग थे। ट्रैक्टर ट्रॉली पड़ोस के गांव रोरी के रहने वाले राहुल की थी। जिसमें बच्चों को मिलाकर कुल 54 लोग सवार होकर जा रहे थे।
पूर्णमासी पर गंगा स्नान का गांव वालों ने अचानक ही विचार बना लिया और पड़ोस के गांव रोरी निवासी राहुल से बात की। वह अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर चलने को तैयार हो गया। उसके साथ इस गांव के तीन और लोग आए। जबकि गांव बनार और खिरिया से दो-दो लोग गंगा यात्रा में शामिल हुए। अन्य सभी 46 लोग नगला कसा के ही थे। कई लोगों का गंगा स्नान जाने का पहले से कोई विचार नहीं था। लेकिन गांव में ट्रैक्टर ट्रॉली आने और संग-साथ के लोगों को जाते देख उन्होंने भी मन बना लिया और ट्रॉली में बैठ गए। लेकिन गंगा तक पहुंचने से पहले ही काल ने इस ट्रॉली पर झपट्टा दे मारा।
सबसे पहले गांव में जो खबर पहुंची, वो केवल ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने की थी। मौत के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। समय बीता तो मृतकों की संख्या का अंदाजा लगाया जाने लगा। सबसे पहले छह लोगों की मौत बताई।
इसके बाद संख्या लगातार बढ़ती गई और खबरें मिलने पर गांव के लोगों के दिल बैठते गए। एक-एक पल की खबर लेने के लिए लोग मोबाइल फोन के जरिए संपर्क बनाए हुए थे। पल-पल बेचैनी बढ़ रही थी। सब्र नहीं हुआ तो खुद ही घटनास्थल की ओर निकल पड़े।
गांव में सुबह के समय कुछ स्पष्ट ही नहीं हो पा रहा था कि हादसे में कौन मरा और कौन जिंदा बचा। जिन लोगों के परिजन ट्रैक्टर ट्रौली में गए थे, वो सभी परेशान थे। एक-दूसरे को हिम्मत बंधा रहे थे। लेकिन अपनी ही हालत को काबू में रखना बहुत मुश्किल था। कई महिलाएं बदहवाश हालत में जमीन पर बार-बार गिर रही थीं। किसी का पति, किसी का भाई, किसी के पिता तो किसी के पुत्र इस हादसे में छिन गए थे।