रेल डिब्बा कारखाना लालगंज में तैनात कर्मचारी (संजय निगम )पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और शिकायत में फर्जी आख्या लगने से मामला एक बार फिर सुर्खियाँ बटोर रहा है। मामले में पत्नी ने अपने कर्मचारी पति पर रेल विभाग में नौकरी करने के साथ विभाग में भ्रष्टाचार करने और कई बेनामी सम्पत्ति अर्जित करने की जाँच कराने को लेकर रेलवे विभाग के आला अधिकारियों से शिकायत की है। रेलवे विभाग ने हाथ खड़े कर दिये और आरोपों को गम्भीर मानते हुए जाँच एजेंसियों से जाँच करवाने का हवाला देकर प्रकरण से अपना पल्ला झाड़ लिया। जिसके बाद पीड़िता आशा निगम ने सूबे के मुख्यमंत्री से शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई है जिसमें अब पुलिस की आख्या पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
मामला दरअसल जिले के लालगंज तहसील क्षेत्र स्थित रेल डिब्बा कारखाना से जुड़ा है। जहाँ तैनात कर्मचारी संजय निगम की पत्नी ने पति के कृत्यों से आहत होकर रेलवे विभाग के आला अधिकारियों से अपने पति की अकूत सम्पत्ति एवं रेलवे में किये गये घोटाले की जाँच कराने की माँग की है। कानपुर शहर के एम 3 प्रेरणा विहार सेक्टर डी विश्व बैंक, बर्रा निवासिनी आशा निगम ने जिले के लालगंज डिब्बा कारखाने में तैनात कर्मचारी पति संजय निगम पर आरोप लगाते हुए रेलवे विभाग से शिकायत किया है कि उनके पति की महाराष्ट्र प्रांत समेत कानपुर में दर्जनों नामी व बेनामी सम्पत्ति है जो रेल विभाग में भ्रष्टाचार करके अर्जित की गई है। साथ ही आरोप लगाया है कि अपनी प्रेमिका समेत माता-पिता व भाई के नाम बेशकीमती सम्पत्ति दर्ज करायी है। यही नहीं शिकायतकर्ता का दावा है कि उनके पति ने रेलवे विभाग में नौकरी करके विभाग को बट्टा लगाकर कानपुर में बेशकीमती जमीन खरीदकर बेच दिया जिसका उनके पास पुख्ता सबूत हैं। विभाग को बट्टा लगाने की बात हम यूँ ही नहीं कह रहे हैं। दरअसल बीते 28 मार्च को प्रधानमंत्री से शिकायत करते हुए आशा निगम ने पति पर आरोप लगाया है कि अपनी प्रेमिका के नाम फर्म बनाकर मानकों को दरकिनार करते हुए विभाग से मोटी रकम कमाई की गई है। जिसपर आशा निगम ने ताल ठोकते हुए दावा किया है कि उनके पास पर्याप्त प्रमाण है। फ़िलहाल पूरे मामले पर अबतक रेलवे विभाग ने कोई भी कार्यवाही करनेे से हाथ खड़े कर दिए हैं साथ यह भी माना कि आरोप गम्भीर हैं लेकिन मामले में विभागीय अधिकारियों ने पत्र लिखकर इतिश्री कर ली और विभाग को जाँच करने का अधिकार नहीं है कहकर पुलिस या जाँच एजेंसी से जाँच करायी जाए जैसी बातें लिखकर अपना पल्ला झाड़ लिया। विभाग ने विभागीय जाँच करने की जहमत उठाने से इनकार कर दिया है। रेलवे विभाग द्वारा मामले में हाथ खड़े कर देने के बाद भी शिकायतकर्ता आशा निगम ने हार नहीं मानी और धैर्य बनाये रखा और एक बार फिर अपना मसीहा मानते हुए सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से शिकायत की जिसपर शिकायतकर्ता आशा निगम का आरोप है कि मामले में क्षेत्राधिकारी महिपाल पाठक को जाँच करने के आदेश दिए गए। तो भईया क्षेत्राधिकारी ने आरोपी संजय निगम से न जाने कौन सी जड़ी बूटी सूंघ ली की आरोपी कर्मचारी संजय निगम पर जाँच की आँच तो छोड़िए साहब। क्षेत्राधिकारी महिपाल पाठक ने अधिकारियों को मुद्दे से ही भटका दिया। साहब ने जिन बिन्दुओं की जाँच गहनता से की है वह प्रकरण का मुख्य हिस्सा ही नहीं है। शिकायत कर्ता ने रेलवे विभाग में हुए भ्रष्टाचार और अकूत सम्पत्ति की जाँच कराने की शिकायत की है। लेकिन क्षेत्राधिकारी साहब ने जाँच की मूल बिन्दुओं पर जाँच न करके अधिकारियों को गुमराह कर दिया। जिस कारण न्याय की आस लगाए अफसरों के कार्यालय के चक्कर काट रही है।
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