फतेहपुर/संवाददाता,/
जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय (डीआईओएस ऑफिस) में एक ऐसे बाबू के कारनामे आजकल चर्चा के विषय बने हुए हैं, जिनकी यहाँ तैनाती ही नही है। इन महाशय का सिस्टम कहा जाए या सेटिंग समझी जाए जिससे ये डीआईओएस ऑफिस में वर्षों से डटे हैं। वैसे तो इनकी तैनाती जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर एक सरकारी बालिका इंटर कालेज में क्लर्क के पद पर हैं पर कार्य ये लगातार करते हैं। डीआईओएस ऑफिस में। कई बार शिकायतें हुई, विरोध हुआ पर जिम्मदारों द्वारा इनके लिए सब अनदेखा किया गया।साहब ने इनके मामले में पहले अज्ञानता जताई फिर जाँच की बात कहकर टाल दिया गया और अभी तक टालते आ रहे हैं और ये बाबू आधुनिक साज-सज्जा से परिपूर्ण एसी चेम्बर में बैठ कर डीआईओएस आफिस को अपने कब्जे में करते जा रहे हैं। इन महाशय का सिस्टम इतना तगड़ा है कि ये वर्षों से डीआईओएस ऑफिस के सबसे चर्चित व्यक्ति बने हुए हैं। या ये कहा जाए कि ये वर्षों से लगातार डीआईओएस आफिस के सेलिब्रेटी बने है क्योंकि कार्यालय में तो इनकी तूती बोलती ही है पर पूरे जिले में यदि डीआईओएस आफिस का नाम कोई लेता है तो साहब से पहले इस बाबू का नाम लोगों की जुबान पर आ जाता है। लोगों की माने तो आफिस का ऐसा कोई वैध-अवैध काम नहीं है जिसमें इसकी दख़लंदाजी ना हो। चाहे विद्यालय की मान्यता का मामला हो या बोर्ड एग्जॉम का सेंटर बनवाना हो, चाहें जाँच शुरू करवानी हो या बंद करवानी हो सब का हल रखता है ये बाबू। इस बाबू की कृपा से जिले में ऐसे कई विद्यालय चल रहे हैं जिनकी बिल्डिंग मानक के अनुरूप नहीं है और वो अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं पर मजाल है कि उन पर कोई कार्रवाई हो क्योंकि इन मानकविहीन विद्यालयों के प्रबंधकों को इस बाबू का आशीर्वाद जो मिला है। वैसे तो ये देखने सुनने में एक साधारण से बाबू है पर ये असाधारण प्रतिभा के धनी है इसलिए ये कई पटलों का कार्य स्वयं देखते हैं। खासकर उन पटलों का कार्य जहां से धन आगमन होता है उन पर तो इनका एकछत्र राज है। शायद इसी का नतीजा रहा कि इन पर अभी तक रहे कई साहबों की कृपा बनी रही। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में डटे इस बाबू की ये बात समझ से परे है कि जब इसकी तैनाती 15 किलोमीटर दूर एक राजकीय बालिका इंटर कालेज में है और कार्य ये डीआईओएस आफिस में करता है तो ये तैनाती की जगह फिंगरप्रिंट लगाकर बायोमैट्रिक उपस्थित कैसे लगाता है यदि बायोमैट्रिक उपस्थित नही लगाता तो इनका वेतन कैसे निर्गत होता है। बड़ी बात ये है कि हर माह का वेतन भी ये ले रहा हैं। बाबू ये सब कैसे मैनेज कर रहा है। शायद साहबों की मेहरबानी इस पर बरकरार हो सकती है या और कुछ खैर जो भी हो जिला मुख्यालय स्थित डीआईओएस ऑफिस में आधुनिक सुविधाओं से लैस इसका चेम्बर है जो कि साहब के चेम्बर से कमतर नहीं है। यहाँ तक कि इसकी कुर्सी साहब की कुर्सी से ऊंची ही है। जिस पर ये अनाधिकृत रूप से बैठकर विभागीय कार्यों को सिस्टम के तहत अंजाम देता हैं और मौज काट रहा है।