फतेहपुर संवाददाता
-बन्द होती रहीं औद्योगिक इकाइयां और तमाशा देखते रहे नेता।
-80 के दशक मे स्थापित हुईं दर्जनों औद्योगिक इकाइयां हो गयीं बन्द।
-चुने गए जन प्रतिनिधियों ने ना उठाई आवाज ना उठाए कारगर कदम।
-बेरोजगारों को रोजगार से नहीं जोड़ सकीं ज्यादातर इकाइयां खंडहर में हुई तब्दील।
-हास्यास्पद बेडशीट को अंतर राज्यीय ख्याति पहुंचाने की बात कर गए पीएम,2 साल पहले ही बंद हो चुकी है उसकी फैक्ट्री।
-बेरोजगारी के चलते युवा घर-बार छोड़ने को मजबूर।
-बिन्दकी विधानसभा क्षेत्र में फिर उम्मीदवार विकास के नाम पर मांग रहे वोट लेकिन रोजी-रोजगार पर हैं चुप।
-करोडों के घोटाले में फंसा बेडशीट बनाने वाली फैक्ट्री का मालिक,चल रही है जांच।
बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने एवं हर हांथ को काम देने के लिए बिन्दकी विधानसभा क्षेत्र में चार दशक पूर्व मलवां-चौड़ागरा को औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा देकर स्थापित की गई दर्जनों औद्योगिक इकाइयां बेरोजगारों को रोजगार से तो नहीं जोड़ सकीं लेकिन सियासत के दांव-पेंच में इस तरह उलझीं की ज्यादातर इकाइयां पूरी तरह से बंद हो गईं। नतीजतन जिले के बेरोजगार रोजगार की तलाश में घरबार छोड़ने को इस कदर मजबूर हुए कि यह सिलसिला अब तक बदस्तूर जारी है। बात जब चुनाव की आती है तो विकास के मुद्दे उठने लगते हैं और इसी के साथ बेरोजगारों को रोजगार एवं हर हांथ को काम देने के वायदे सियासत की जंग में ऐसे परवान चढ़ते हैं कि हर किसी सियासी दल के पास आम लोगों को लुभाने का मुद्दा उभर कर सामने आता है। कमोवेश यही हाल 18 वीं विधानसभा में बिन्दकी विधानसभा क्षेत्र में भी है। विकास के तमाम वादे किए जा रहे हैं लेकिन बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों को पुनःसंचालित करने या फिर जिले में उद्योगों को बढ़ाने को लेकर किसी भी दल के उम्मीदवार ने अपने चुनावी मुद्दे में शामिल नहीं किया है जिससे लोग रोजी-रोजगार को लेकर आशान्वित हो सकें।
आजादी के बाद से यूं तो जिले की राजनीति की हवाएं देश व प्रदेश की सियासत में तैरती रहीं लेकिन 80 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हरिकृष्ण शास्त्री ने राष्ट्रीय मार्ग में स्थित बिंदकी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मलवां एवं चौड़ागरा को औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा दिला कर जिस तरह से औद्योगिक इकाइयों को स्थापित कराने की पहल शुरू की वह 5 वर्षों में ही दिन दूना रात चौगुना ऐसी बढीं की क्षेत्र में दर्जनों ऐसी औद्योगिक इकाइयां पूंजीपतियों ने स्थापित कर दीं जो एशिया के मानचित्र में अपना अहम स्थान रखते थे और इसी वजह से बिन्दकी विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ फतेहपुर जनपद का नाम भी विकास के क्षेत्र में प्रदेश के मानचित्र में दर्ज हो गया।कांग्रेस की सत्ता और विकास के आईने में तोहफे के रुप में मिली इस जनपद को औद्योगिक इकाइयां अब पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। वैसे भी बिन्दकी कस्बा के पीतल के बर्तनों के कारोबार ने प्रदेश में काफी ख्याति प्राप्त की थी।ठठराही मोहल्ले में पीतल के बर्तनों को बनाने के लिए उठने वाली मथन्ने की ठन-ठन की आवाज अब खामोश है। ये खामोशी औद्योगिक क्षेत्र से मिली आशा की किरणों के बाद लोगों के बीच कोई खास रंग नहीं दिखा पाई लेकिन गुजरे वक्त में औद्योगिक इकाइयों के प्रति चुने गए जन प्रतिनिधियों ने नजर अंदाज करने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ी।
वर्ष 1985 तक ये औद्योगिक इकाइयां ठीक-ठाक रहीं लेकिन 1989 में जनता दल से विधायक बने अचल सिंह, 91 में अभिमन्यु सिंह, 93 में भाजपा से जनसेवक अमरजीत सिंह, 96 में बसपा से राजेंद्र पटेल 2002 में जनसेवक अमरजीत सिंह दोबारा चुने गए व 2007 व 2012 में सुखदेव प्रसाद वर्मा बसपा से जीते लेकिन औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो सका। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार प्रदेश की सत्ता में बनाई लेकिन रोजी-रोजगार की नेता केवल बातें करते रहे और यहां इकाइयां एक के बाद एक बंद होती चली गईं लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इन इकाइयों को लेकर संजीदगी नहीं दिखाई।यहां ऐसे भी विधायक हुए जिनकी सरकारें भी प्रदेश में रहीं लेकिन उनकी उदासीनता ने औद्योगिक इकाइयों से जुड़े रोजगार का बंटाधार कर दिया। मलवां एवं चौडगरा औद्योगिक क्षेत्र राष्ट्रीय मार्ग के किनारे हैं जहां स्टील प्लांट से लेकर सिटको लेदर,आरबी ट्यूब्स,सा-वालेस,क्वालिटी स्टील ट्यूब,ही-मैन मरकरी कंटेनरी आईडिल टीवी,सी लाल एल्युमिनियम गर्ग स्टेक,मरकरी ब्रेड,सीमेंट फैक्ट्री जैसी तमाम नामी गिरामी औद्योगिक इकाइयों में ताला पड़ चुका है।कारपो इलेक्ट्रॉनिक,पैनम स्टील,रोल्स ट्यूब,अमृत फूड्स जैसी औद्योगिक इकाइयां भी स्थापित हुईं लेकिन इनका हाल भी किसी से छिपा नहीं है। अपनी जनसभा के दौरान जिस बेडशीट को अंतर राज्यीय ख्याति प्राप्त कराने की बात मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर गए वह लक्ष्मी कांट्सिन मिल 2 साल पहले ही बंद हो गई थी और उसके मालिकों की जांच करोड़ों रुपए के घोटाले को लेकर चल रही है।जब जन प्रतिनिधियों की ऐसी संवेदनहीनता होगी तो फिर विकास की कल्पना कैसे की जा सकती है।
18 वीं विधानसभा के चुनाव में बिन्दकी विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल अपना दल(एस)से प्रदेश सरकार में मंत्री रहे जय कुमार सिंह जैकी,समाजवादी पार्टी से रामेश्वर दयाल दयालू,कांग्रेस से अभिमन्यु सिंह तथा बहुजन समाज पार्टी से सुशील दोषी चुनाव मैदान में हैं। मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए नेता लगे हुए हैं।इनके पास विकास के नाम पर स्थानीय मुद्दे भले ही हों पर औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने को लेकर सभी ने चुप्पी साध रखी है। कुल मिलाकर तीन दशक के सफरनामें में ना केवल जिले का औद्योगिक विकास पलायन कर गया बल्कि वर्तमान समय में जिस तरह से युवा,बेरोजगार रोजगार पाने के लिए अपना घर-बार छोड़ने को मजबूर हैं उससे साफ जाहिर होता है कि जिले में विकास की गति धीमी पड़ गयी है।इस दौरान चुने गए जन प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ना तो संवेदनशीलता दिखाई और ना ही कोई प्रयास किए। दावे भले ही कुछ भी किए जा रहे हों लेकिन जिले के विकास की तस्वीर एवं युवाओं की बेरोजगारी बदहाल स्थिति में है।