फतेहपुर/संवाददाता
शक्ति की उपासना का घर-घर आज से आगाज होगा। मां की भक्ति के इन आठ दिनों की शुरुआत गुरुवार को घट स्थापना से होगी। माता शैलपुत्री का विधिवत पूजन होगा। सुबह छह बजकर 17 मिनट से सात बजकर सात मिनट तक का समय घट स्थापना के लिए सबसे सर्वोत्तम है। उधर, जिले के अलग-अलग स्थानों पर मां दुर्गा पंडाल में भी मूर्तियां स्थापित होंगी।
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा जी का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। मां शैलपुत्री के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है। खासतौर पर महिलाओं को मां शैलपुत्री के पूजन से विशेष लाभ होता है। महिलाओं की पारिवारिक स्थिति, दांपत्य जीवन में कष्ट, क्लेश और बीमारियां मां शैलपुत्री की कृपा से दूर होती हैं। सफेद वस्तु अति प्रिय हैं, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पित करें और सफेद बर्फी का भोग लगाएं। मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है। शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग, सुपारी, मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पित करें।
मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना में अशुद्ध वस्त्र पहन कर पूजा न करें। घर के किसी भी कमरे में अंधेरा न रखें। अपनी बहन, बेटी, बुआ या किसी भी महिला का तिरस्कार न करें।
एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें। मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें। ॐ शैलपुत्रये नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरूप दें। अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अर्पण करें। ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी। पारिवारिक कलह हमेशा के लिए खत्म होगी।