वाराणसी,संवाद सूत्र,/
लोक समाज पार्टी वाराणसी जिला इकाई द्वारा तहसील राजा तालाब के अन्तर्गत गांव बाराडीह में महिला आरक्षण विधेयक में दलित ओबीसी आदिवासी को कोटा निर्धारित करने की मांग तथा निजीकरण ठेकेदारी के खिलाफ नुकड़ सभा किया गया जिसकी अध्यक्षता पुर्वांचल यूपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश कुमार विश्वकर्मा, मुख्य अतिथि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम बदन विश्वकर्मा, राष्ट्रीय सचिव देवेंद्र कुमार शर्मा, पुर्वांचल यूपी के प्रदेश सचिव राम नारायन विश्वकर्मा, जिला अध्यक्ष विकाश विश्वकर्मा, जिला उपाध्याक्ष ओम प्रकाश विश्वकर्मा, राम प्रकाश शर्मा,, पप्पू विश्वकर्मा, सुभाष चंद्र, रमेश चंद, सूरज बलि, अशोक राजभर, भोदल यादव, पार्वती देवी, रानी देवी, हंसा देवी, मुन्नी देवी, जड़वती देवी, मनभवती देवी, इंदू देवी, रेखा देवी कोमल, किरन, अनिता, संतरा देवी, प्रोमिला देवी, रंभा देवी, सोमारी देवी, शीला देवी कविता देवी, जानकी देवी मंजू देवी, जानकी देवी राजभर, मुसई गौड़, हुबलाल विश्वकर्मा, पूरन कुमार सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।
उक्त अवसर पर लोक समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर शर्मा (ऐडवोकेट) ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यही बीजेपी सरकार 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने जब ओबीसी के सरकारी नौकरी के 27% आरक्षण जारी किया तो उस विधयक सबसे पहले बीजेपी और संघ के लोगों ने कांग्रेस से गुप्त समझौता करके विरोध किया और पूरे देश कोहराम इस तरह मचवाये जैसे ओबीसी इस देश नागरिक हो है उनका कोई संवैधानिक होते हुए सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किए। जब सुप्रीम कोर्ट के 3 मुकाबले 6 जजों मण्डल कमीशन अर्थात सरकारी नौकरी में 27% आरक्षण वैध माना तब भी बीजेपी और कांग्रेस को चैन नहीं और चोर दरवाजे निजीकरण ठेकेदारी लागू करके देश की लगभग हर सरकारी संपत्तियों को निजी क्षेत्र सौंपते गए और इस प्रकार देश सभी युवकों को सरकारी नौकरी करने का आधिकार खत्म कर दिए।
एक तरफ आरक्षण खत्म किया गया वही दूसरे तरफ महिला आरक्षण के पीछे मंशा क्या है।
कांग्रेस बीजेपी की सरकारों का प्रेक्टिकल में चलन यही रहा कि बहुत बड़ी आबादी के लोगो सत्ता की रस मलाई से दूर रखने का प्रयास किया गया और इस प्रकार बहुत बड़ी आबादी और कुछ मुठ्ठी भर के लोगो विषमता का पहाड़ खड़ा कर दिया गया है। महिला आरक्षण विधेयक लाने का बीजेपी कांग्रेस का मकसद यही है विधान सभा चुनावों और लोक सभा चुनाव में सिर्फ दबंग जातियों के महिलाओं को ही टिकट देकर दलित ओबीसी आदिवासी महिलाओं और पुरुष 33% सीटों से दूर रखने का मिशन नहीं इसी महिला आरक्षण विधेयक दलित ओबीसी आदिवासी महिलाओं के सीटें निर्धारित करने क्या परेशानी है। इस प्रकार कांग्रेस और भाजपा के द्वारा लाया गाया कानून रूपी दाल में काला जरूर है।