फतेहपुर संवाददाता,/
दोआबा की मिट्टी के अन्नदाता विपरीत मौसम में कृषि क्षेत्र में नवाचार के लिए विख्यात हो रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के दौर में जनपद के प्रगतिशील किसानों ने सूरज की आंख से आंख मिलाने की हिम्मत दिखाई तो परिणाम आश्चर्यजनक आए हैं। बढ़ते तापमान से चिंतित मक्के की खेती करने वाले किसानो के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। हैदराबाद की एक कंपनी के कृषि वैज्ञानिको ने 46 डिग्री के तापमान को आसानी से झेलने वाली मक्के की नई किस्म तैयार कर ली है, जो किसानों के खेतों में अपना परचम लहरा रही है।
पिछले कई वर्षों से तापमान के बढ़ते प्रकोप से मक्के के किसान भुट्टे मे दाने न आने और फसल पीली पड़ जाने की सबसे बड़ी समस्या से जूझ रहे थे। इस समस्या को चुनौती मानकर वैज्ञानिको ने चाणक्य 4590 किस्म को तैयार किया और अभिनव प्रयोग के तौर पर जिले के प्रगतिशील किसान प्रतापभान सिंह के द्वारा किसानों को बीज़ उपलब्ध कराकर इस वर्ष इसकी बुआई कराई गई तो आश्चर्यजनक परिणाम सामने आएं। इस किस्म को खजुहा ब्लॉक के बरेठर बुजुर्ग निवासी महेंद्र सिंह ने अपने पांच बीघा खेत में मक्के की फसल तैयार कर दी। प्रगतिशील किसान महेंद्र सिंह बताते हैं की गेहूं की फसल कटने के बाद खेत खाली हो जाता है और सबसे अच्छा है कि तीन माह में मक्के की फसल तैयार हो जाती है। इसके तीन लाभ भी हैं, मक्के का बाजार में मूल्य अच्छा मिलता है और इसका तना गौशालाओं व बाजार में चारे के रूप में अच्छे दामों में बिक जाता है तथा फसल तैयार करने से खेत की मिट्टी का खरपतवार नष्ट हो जाता है। इसकी फसल के बाद आप धान की फसल तैयार कर सकते हैं। अमौली ब्लॉक के गांव देवचली निवासी वीरेंद्र कुमार वीरू व शिवकेश, मलवा ब्लॉक के शाहजहांपुर निवासी सरोज उत्तम आदि ने भी इसका अभिनव प्रयोग किया है। इनके खेतों मे लहलहाती फसल और शीर्ष तक भरे सवा फुट लंबे भुट्टे इस बात का प्रमाण है कि उसपर बढ़ते तापमान का कोई असर नहीं है। इस बात से किसानों को नई उम्मीद जगी है और उनके चेहरों पर मुस्कान है।
प्रगतिशील किसान प्रताप भान सिंह-किसान उत्पादक संगठनो के माध्यम से जिले के किसानो को यह बीज बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराकर मोटे अनाज की ओर अग्रेषित किया जाएगा। जिससे किसानो की आय और उत्पादन मे बढ़त हो सके। इच्छुक किसान 8840115481 से जानकारी प्राप्त कर सकते है।
इस किस्म विशेषताएं-
हीट टॉलरेंस प्रजाति
मात्र 90 दिन की फसल
मात्र 45 दिन मे भुट्टे आना
12 से 15 इंच लंबा भुट्टा
एक तना में 2 भुट्टा दाने नीचे से ऊपर तक भरे हुए मोटे स्वस्थ पौधे जो गिरे नहीं कटाई तक हरा पौधा होने से चारे के लिए बेहद अनुकूल 29 से 25 कु. प्रति एकड़ उत्पादन विभिन्न रोग के प्रति प्रतिरोधी।
किसान वीरेंद्र कुमार-इस किस्म से बहुत संतुष्ट हूँ. ये क्रांतिकारी हो सकती है। इस फसल को चार से पांच पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है।
किसान शिवकेश देवचली-मैंने इसे पहली बार बोया है। थोड़ा लेट बुआई के बाद भी फसल बहुत जोरदार है, खेत में इनके पेड़ों के बीच की दूरी 19 इंच होनी चाहिए। इससे बहुत उम्मीद है।
किसान सरोज उत्तम-मैं एक नामी गिरामी कम्पनी का मुरीद था। उसी के बगल मे इसे ट्रायल के तौर एक ही दिन रोपाई करी थी। अब उस नामचीन कम्पनी के बजाय इस किस्म को ही लगाऊंगा, बहुर जबरदस्त परिणाम है।
ये किस्म अद्वितीय है, इसके लिए वर्धनम कम्पनी और उसके वैज्ञानिको का बहुत बहुत आभार निश्चित ही ये किस्म किसानों की समृद्धि बढ़ाने वाली सिद्ध होगी।