लखनऊ,संवाददाता,/
अवैध खनन पर रोक के बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों में खनन का गैरकानूनी काम लगातार जारी है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी अवैध खनन में लिप्त अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। पिछले कुछ वर्षों में अपराधियों के द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों में खनन माफिया को रोकने के लिए गए पुलिसकर्मियों की डंपर से या ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई या उन्हें घायल कर दिया जाता। इस तरह की जघन्य हत्याएं वर्षों से जारी हैं। पिछले कुछ सालों में गुजरात, झारखंड, हरियाणा व उत्तरप्रदेश हो या अन्य राज्यों में अपराधियों द्वारा ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया गया हैं। ऐसी हर घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और सरकार की ओर से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और सजा देने का रस्मी बयान आता है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर होता कुछ भी नहीं कुछ दिनों के बाद अपराधी छूट जाते हैं और अवैध खनन का सिलसिला जारी रहता है। क्या प्रशासन को इस चोरी की जानकारी नहीं होती? फिर क्या वजह है कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद पूरा सरकारी अमला होते हुए भी पुलिस प्रशासन इन अपराधों को रोकने में नाकाम रहता है। पुलिस प्रशासन को इन गैरकानूनी हरकतों की जानकारी न हो ऐसा संभव नहीं है।
अवैध खनन की घटनाएं इसलिए भी नहीं रुक पा रही हैं क्योंकि कई बार कुछ संतरी से लेकर कुछ नेता तक सभी इस गोरख धंधे में लिप्त रहते हैं। इस अवैध व्यवसाय में सभी के हित जुड़े हुए हैं। अगर कोई अधिकारी हिम्मत करके इन अपराधियों को रोकने की कोशिश करता है तो उसे बदले में मिलती है मौत उसे डंपर से या ट्रैक्टर से कुचल दिया जाता है और पीछे रोने के लिए रह जाता है। उसका परिवार इन हत्याओं का यह असर होता है कि जो दूसरे अधिकारी इन अपराधों को रोकना चाहते हैं व भी सहम जाते हैं व भी मजबूर होकर इन अपराधों से आंखों मूंद लेते हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को जो यह प्राकृतिक संसाधनों की लूट मची है इसे गंभीरता से लेते हुए इन पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। अवैध खनन में लिप्त लोगों को ऐसी सख्त सजा मिलनी चाहिए जो दूसरों के लिए एक मिसाल बनें।
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