रायबरेली/विनोद यादव
होली मिलन समारोह के नाम पर सरकार द्वारा जारी की गई कोरोना गाइडलाइन की जमकर धज्जिया उड़ाई गई। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल द्वारा घंटाघर चौराहे पर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया था। जिसमें ना तो महामारी अधिनियम का ही पालन किया गया ना ही से बचाव के ही कोई उपाय किए गए थे। आखिरकार किसने इस रंगारंग कार्यक्रम की इजाजत दी। बताते हैं कि जिन जिम्मेदार लोगों को कोरोना अधिनियम का पालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं अधिकारी वहां पर बैठकर रंगारंग कार्यक्रम का आनंद उठा रहे थे। बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए होली की गाइडलाइन जारी कर दी गई थी। गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, इस बार होली पर रेन डांस पार्टी और शराब पार्टी पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इसके अलावा होली पर किसी भी तरह की पार्टी नहीं होगा। होली मिलन समारोह और अन्य सामूहिक कार्यक्रमों के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। 50 से ज्यादा की भीड़ नहीं जमा होने दी जाएगी। नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इस कार्यक्रम में ऐसा कुछ भी देखने को नही मिला। सबसे बड़ी बात रंगारंग कार्यक्रम के दौरान दो पक्षों में मारपीट हुई और कुर्सियां भी तोड़ी गई वही मौजूद पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। आखिर किसके दबाब में इतनी बड़ी संख्या में लोगो के हुजूम को इकट्ठा करके कार्यक्रम करने की अनुमति दी गई। व्यापार मंडल ने जहाँ पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी नही समझा गया और जमकर उड़ाई कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां।
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