सलोन/रायबरेली,संवाद सूत्र
सूबे की सत्ता सीन योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन व भू माफियाओं से सरकारी जमीनों को अवैध कब्जे से मुक्त करवाने का दावा खोखला उस समय साबित हो जाता है जब कोई और नहीं बल्की सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारियों की संरक्षण में भूमाफियों ने कही और नहीं बल्की चारागाह की सुरक्षित भूमि में ही भूमाफियों ने सामूहिक रूप से गेहूं व आलू कि खेती वर्षो से करते चले आ रहे हैं। जिसे प्रशासन जानकर भी अंजान बना बैठा था। किंतु हर बार की तरह इस बार भी उसी प्रक्रिया में भूमाफियों ने गेहूं की फसल तो बो दिया किंतु भूमाफियों व प्रशासन के ये काली करतूत लगातार अखबारों की सुर्खियों में जरूर है। किन्तु इसका भूमाफिया व प्रशासन कि गठजोड़ किसी भी हालत में टूटने का नाम नहीं ले रही है। जिससे एक बार पुनः चारागाह की सुरक्षित भूमि में अवैध रुप से तैयार की गई गेहूं की फसल भूमाफिया बेखौफ ढंग से काटकर घर ले जा रहे हैं। सलोन तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा मटका की जहां पर लगभग 67 बीघा चारागाह की भूमि अभिलेखों में तो दर्ज है किन्तु मौके पर हकीकत जानकर शायद आप चौंक जाएंगे। चारागाह की सुरक्षित भूमि पर वर्तमान समय में हाल ही में तहसील प्रशासन के अधिकारियों की लचर कार्यशैली से एक तरफ जहां एक साथ सात अवैध मकानों का अवैध निर्माण हुआ। जिसकी जानकारी देने के बावजूद दो अवैध मकानों मकानों में आधी रात को छत पड़ गई तो वहीं दूसरी तरफ चारागाह की सुरक्षित भूमि पर ही वर्तमान समय में लगभग बीस बीघा के ऊपर भूमि में भूमाफिया सामूहिक रूप से गेहूं व आलू की अवैध फसल तैयार कर लिए जिसमें आलू की फसल तो भूमाफिया उच्चाधिकारियों से शिकायतें होने के बावजूद सलोन तहसील प्रशासन की सहमति से खोद कर उठा लें गये। किन्तु चरागाह की सुरक्षित भूमि में गेहूं की बालियां अभी भी झूल रहीं हैं। जिसे भूमाफिया पुनः तहसील प्रशासन की सहमति से काट कर अपना रसूख बढ़ा लेगें और सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी भूमाफियों पर कथित कार्यवाही का दावा कर भूमाफियों पर अपनी छत्र छाया बनाये रखेंगे अब देखना यह है कि क्या चारागाह की सुरक्षित भूमि से भू-माफिया हर बार की तरह इस बार भी गेहूं की अवैध फसल काटकर घर उठा ले जायेंगे? क्या जिस प्रकार दो भूमाफियों ने आधी रात को चारागाह की सुरक्षित भूमि में दो छतें डाल ली क्या उसी प्रक्रिया में सभी भूमाफिया छत डाल देंगें ? इन यक्ष प्रश्नो का उत्तर मिलना सा लग रहा है।
झूठी आख्या पर हस्ताक्षर करने से नहीं चूकती एसडीएम दिव्या ओझा
यदि देखा जाए तो चारागाह कि सुरक्षित भूमि में है रही अवैध खेती के सम्बन्ध में कई बार जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव से लोगों ने लिखित शिकायत भी किया किंतु इस मामले में तहसीलदार व नायब ने जांच के नायब के पर सिर्फ खानापूर्ति कर झूठी आख्या पर एसडीएम दिव्या ओझा हस्ताक्षर करने से बिल्कुल नहीं चूकती जिससे उनकी भी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।
अधिकारी बदले पर कार्यशैली नहीं
यदि देखा जाए तो चारागाह की सुरक्षित भूमि में अवैध कब्जों को संज्ञान में लेते हुए जिले के तेजतर्रार जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने भले ही पूर्व तहसीलदार रामकुमार का तबादला व लेखपाल पर कार्यवाही करवा दिया हो किंतु अधिकारियों का चेहरा जरूर बदला है पर अधिकारियों कि भ्रष्ट कार्यशैली नहीं बदली आखिर भूमाफियों पर तहसील प्रशासन के अधिकारी इतना क्यों मेहरबान हैं भूमाफियों के प्रभाव व प्रलोभन में हैं या फिर कोई अन्य कारण हैं। जिससे भूमाफियों के आगे प्रशासन नतमस्तक है ये सारे सवाल तहसील प्रशासन के अधिकारियों की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर रहा है।
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