रायबरेली/विनोद यादव(गुड्डू)
जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में जो भी मरीज आता है उसे एक पर्ची बनाकर दवा के लिए सामने बने मेडिकल स्टोर पर भेज दिया जाता है। उसे जब मरीज के साथ आए हुए परिजन डॉक्टर को बाहर से है लाई हुई दवा देते हैं तभी मरीज ठीक हो पाता है कल की तरह आज भी एक मामला प्रकाश में आया है जो भदोखर थाना क्षेत्र के झकरासी का है। जहां सज्जन लाल अपनी पत्नी गोमती की तबीयत खराब होने के कारण अपने परिजनों के साथ इमरजेंसी जिला अस्पताल लेकर आए जहां पर उन्हें डॉक्टरों द्वारा एक पर्ची में इंजेक्शन लिख दिया गया जो कि 360 रूपये का था इंजेक्शन लाकर डॉक्टर को दिया उसके बाद मरीज गोमती का कोरोनावायरस टेस्ट किया गया नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया जहां पर नर्सों द्वारा विवो लगाकर छोड़ दिया गया। मरीज के साथ आए हुए परिजनों का आरोप है कि उनके चार पांच बार बुलाने पर भी वहां का कोई स्टाफ उसकी देखभाल के लिए नहीं गया उसके बाद बहुत प्रयास करने के बाद जब स्टाफ गया, तो स्टाफ ने बताया किस पेशेंट को डॉ बीरबल साहब देखेंगे वह अभी बाहर हैं और फिर वहां के स्टाफ द्वारा 1000 का टैबलेट्स बाहर से लिख दिया गया और सुंघने की दवा और वहां के स्टाफ ने दवा को छुआ भी नहीं और बता दिया कि इसको खिला देना उसके बाद वहां मौके पर मरीज के पास कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा जिससे कि महिला मरीज गोमती की जान चली गई परिजनों का आरोप है कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से मेरे मरीज की जान गई है देखना यह है कि ऐसा ही एक मामला बाहर से लिखने का पूर्व में जिलाधिकारी एवं सीएमएस जिला अस्पताल के सामने रखा गया पर कोई कार्यवाही नहीं हुई अब देखना एह है कि इस मामले की कार्यवाही होती है कि नहीं।
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