फतेहपुर,संवाद सूत्र-मासिक धर्म एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है जो एक महिला के प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। जब अण्डाशय द्वारा छोडें गये अण्डे को निषेचित नही किया जाता है तो गर्भाशय की परत के साथ अंडा जो एक निषेचित अंडे के आरोपण के लिए तैयार किया गया था, उसे हटा दिया जाता है और शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इस अपशिष्ट में रक्त, श्लेष्मा, और अस्तर के ऊतक होते है और सामूहिक रुप से इसे मासिक धर्म रक्त कहा जाता है। मासिक धर्म से संबंधित प्रतिगामी सामाजिक सांस्कृतिक मानदंड अधिक सुरक्षित सैनिटरी पेैड के बजाय मासिक धर्म के प्रबन्धन के लिए अस्वच्छ उत्पादों के लिए जिम्मेदार है। महिलाओं को इन दिनों में ठीक से स्नान करने या खुद को साफ रखने की मनाही होती है जो मासिक धर्म की स्वच्छता की कमी के कारण उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा वे स्कूल जाने या काम करने से भी डरते है क्यांेकि उन जगहो पर साफ पानी, साबुन और वाशरुम जैसी सुविधाओं की कमी होती है। जननांग क्षेत्र की सफाई और सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक संक्रमण की घटनाओं को 97 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। मासिकधर्म से जुडे जोखिमों को कम करने के लिए पीरियड के समय सैनेटरी पैड का उचित उपयोग महत्वपूर्ण है। निरक्षरता, गरीबी और जागरुकता की कमी ही मासिक धर्म के पीछे प्रमुख कारण है जो अभी भी भारतीय ग्रामीण समाज में वर्जित है। मासिक धर्म लडकियों में यौवन की शुरुआत के साथ जुडा हुआ है और कई बार यह समाज द्वारा लडकियों से नियम, प्रतिबंध, अलगाव और बदली हुई अपेक्षाओं को साथ लाता है। लडकियों के प्रति इस बदले हुए रवैये जैसे कि उनकी आत्म अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध, स्कुली शिक्षा, गतिशीलता और स्वतंत्रता का महिलाओं की मानसिकता पर दूरगामी परिणाम है।
इन्ही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जन शिक्षण संस्थान फतेहपुर द्वारा स्वच्छता पखवारे के अन्तर्गत ग्राम अम्बापुर एवं सुकेती की ग्रामीण महिलाओं के मध्य संस्थान के प्रशिक्षक/प्रशिक्षिकाओं द्वारा एक सर्वे एवं जागरुकता कार्यक्रम किया गया जिसके अन्तर्गत महिलाओं और बालिकाओं को मासिक धर्म से जुडी समस्त भ्रान्तियों को दूर करने और उनको अपने व्यक्तिगत साफ सफाई पर ध्यान देने हेतु जागरु