वाराणसी/नि.सं.
ज्योतिर्लिंगाकार काशी की परिक्रमा यात्रा का पांचों पड़ाव श्रद्धालुओं के लिए सजाए जाएंगे। सुख-सुविधा विकसित की जाएगी और संसाधन जुटाए जाएंगे। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से 33 करोड़ रुपये का खाका खींचा गया है। इससे कर्दमेश्वर (कंदवा), भीमचंडी, रामेश्वर, पांचो पंडवा और कपिलधारा में विकास कार्य कराए जाएंगे। धर्मशालाओं को दुरूस्त करने के साथ पेयजल, प्रकाश, प्रसाधन और विश्राम आदि की व्यवस्था की जाएगी। दरअसल, सभी पड़ावों पर राजा-महाराजों के दौर में तमाम धर्मशालाएं बनाई गई थीं। उनमें फिलहाल कई अवैध कब्जे में हैं, उन्हें भी मुक्त करा कर श्रद्धालु सुविधा के लिहाज से सजाया जाएगा। साथ ही वैधानिक कस्टोडियन से उन्हें विधिक तरीके से लेकर भी कार्य कराए जाएंगे। इस दिशा में प्रारुप तय किया जा रहा है। तीन साल पहले बनारस पंचकोसी यात्रा के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने काशी की इस अमूर्त धरोहर को सहेजने-संजोने के लिए 101 करोड़ रुपये से साज-सज्जा की घोषणा की थी। उसके तहत 25 किलोमीटर क्सषेत्ड़र में सड़कों का चौड़ीकरण, पाथवे निर्माण, छाया-रोशनी व पेयजल का इंतजाम खास था। अब पड़ावों पर फोकस किया गया है ताकि इस पांच पड़ावों वाली यात्रा में श्रद्धालु विश्राम कर सके। इससे पहले संस्कृति विभाग भी पांचों पड़ावों पर थाती सहेजने के लिहाज से कार्य करा चुका है।
ज्योतिर्लिंगाकार काशी की यात्रा
काशी के ज्योतिर्लिंगाकार परिक्रमा पथ पंचकोसी रूट की यात्रा का विशेष मान है। माना जाता है कि 25 कोस के इस क्षेत्र में 33 कोटि देवताओं का वास है। इन देवों की समग्र रूप में परिक्रमा को पंचकोसी परिक्रमा कहते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि ‘पंचानाम क्रोशानाम समाहारा’। कहने का अर्थ यह कि पांच कोसों का समूह पंचक्रोशी यात्रा है। इस या6ा को करने से चारो तरह के पुरुषार्थों यथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे जन्म-जन्मांतर के पापों का स्वतः ही क्षय हो जाता है। श्रद्धालु शिवलोक में स्थान पाता है। इसका रास्ता काशी से जाता है। कारण यह कि इस खास यात्रा के लिए मणिकर्णिका घाट स्थित मणिकर्णी यानी चक्र पुष्करिणी कुंड और फिर ज्ञानकूप पर संकल्प लेने के बाद बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ से अनुमति ली जाती है। गंगा घाट समेत 25 कोस विस्तारित क्षेत्र में स्थित देव स्थलों में शीश नवाते पुन: मणिकर्णी कुंड और ज्ञानकूप पर संकल्प छुड़ा कर समापन किया जाता है। बाबा का दर्शन कर इसकी पूर्णाहुति की जाती है। कहा जाता है कि मोक्ष नगरी में इस महाश्मशान पर ही बोले बाबा जीवों को तारक मंत्र देकर आावागमन के बंधनों से मुक्त करते हैं। पंचकोसी यात्रा महाशिवरात्रि, सावन और मलमास में की जाती है। इसे अपनी सामर्थ्य अनुसार एक, तीन, पांच दिन में करने का विधान है। इसके पांच पड़ावों में कंदवा, भीमचंडी, रामेश्वर, पांचो पंडवा व कपिलधारा हैं। पांच दिनी यात्रा में इनमें एक-एक रात्रि विश्राम का विधान है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने भी ब्रह्मï हत्या के पाप से मुक्ति के लिए काशी में पंचकोसी यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने रामेश्वर में शिवलिंग स्थापित किया था। पांडवों ने अज्ञातवास की अवधि में पंचकोसी यात्रा की और उन्हें युद्ध में विजय मिली। शिवपुर स्थित पड़ाव पर पांडवों द्वारा जो शिवलिंग स्थापित किए, उनके ही नाम से जाने जाते हैं।
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October 23, 2023