कानपुर/संवाद सूत्र
शादी अनुदान से जुड़े एक-दो नहीं बल्कि तमाम आवेदन पत्र मिल जाएंगे जो फर्जी पते से भरे गए और लेखपालों ने घर बैठे ही सत्यापन कर दिया। तहसीलदार से होते हुए फाइल समाज कल्याण विभाग तक पहुंच गई। डीएम आलोक तिवारी द्वारा जांच कमेटी बनाए जाने के बाद समाज कल्याण विभाग ने अपनी जांच तो बंद कर दी है, लेकिन “आपकी खबरें ” की पड़ताल में जो तथ्य सामने आए वे लेखपालों की कारस्तानी उजागर करने के लिए काफी हैं। शादी अनुदान में यह फर्जीवाड़ा इसलिए भी हुआ क्योंकि कुछ लेखपालों ने दलालों द्वारा बढ़ाई गई फाइल पर आंख बंदकर मुहर लगा दी। ये मामले तो सिर्फ बानगी हैं…।
घटना1:- 217/ 220 मखदूम नगर के पते से विजेंद्र पुत्र घसीटेलाल नाम से शादी अनुदान के लिए समाज कल्याण विभाग में आवेदन किया गया है। इसी पते से आय प्रमाण पत्र भी बनाया गया। लेखपाल ने सत्यापन भी कर दिया, लेकिन विजेंद्र नाम का कोई व्यक्ति इस पते पर नहीं रहता।
घटना 2:- 212, मीरपुर कैंट पते से अनुज पुत्र देवी प्रसाद के नाम से आवेदन किया गया है, जबकि इस पते पर एक मुस्लिम परिवार रहता है। न तो आय प्रमाण पत्र के लिए मौके पर सत्यापन किया गया और न ही शादी अनुदान के आवेदन की जांच की गई।
घटना 3:- नगवन कठोंगर चकेरी पते से जवाहर लाल, मालती और नितिन के नाम से आवेदन किया गया है। इन तीनों आवेदकों को लेखपाल ने पात्र बताते हुए फाइल आगे बढ़ा दी। तहसीलदार ने उनकी रिपोर्ट को सही माना, एसडीएम ने भी पत्रावली समाज कल्याण भेजी, लेकिन ये तीनों वहां नहीं मिले। हालांकि उन्हें अनुदान नहीं मिला है।
घटना 4:- 237/220 मखदूम नगर जाजमऊ के पते से विजय कुमार पुत्र राजबाबू के नाम से आवेदन किया गया है। यह पता भी फर्जी तरीके से दर्ज है। लेखपाल ने यहां भी खेल किया और आवेदनकर्ता को पात्र मान लिया और रिपोर्ट तहसीलदार को भेजी। वहां से ऑनलाइन रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग पहुंची।
ग्रामीण में ठीक,शहरी में गड़बड़झाला
शादी अनुदान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जो आवेदन किए गए हैं उनमें फर्जीवाड़ा नहीं है। सीडीओ डॉ. महेंद्र कुमार ने भी जिन आवेदन पत्रों की नमूने के तौर पर जांच कराई सब पात्र मिले, लेकिन शहरी क्षेत्र में स्थिति एकदम उलट है। यहां तो फर्जी पते पर भरे गए आवेदन पत्रों को भी पात्र बना दिया गया। लेखपालों के इस खेल का ही परिणाम है कि वे खुद तो कार्रवाई के दायरे में आए ही हैं उनकी वजह से तहसीलदार, एसडीएम भी कार्रवाई की जद में आ गए हैं, क्योंकि प्रत्येक फाइल पर तहसीलदार के हस्ताक्षर हुए हैं और फिर एसडीएम ने उसे आगे बढ़ाया है। जांच कमेटी के सदस्य पीडी डीआरडीए केके पांडेय का कहना है कि समाज कल्याण विभाग से जांच के लिए फाइल मांगी है।
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