कानपुर/संवाद सूत्र
किसानों के बाद अब व्यापारी और व्यापारिक संगठन भी सड़क पर उतरने को विवश हैं। पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के मूल्यों में वृद्धि, जीएसटी में सुधार जैसी गई मांगों को लेकर उन्होंने शुक्रवार को हड़ताल करने का निर्णय लिया था। जिसे देखते हुए कानपुर और आसपास के कुछ जिलों में प्रशासनिक हलचल देखने को मिल रही है। किसानों के बाद अब व्यापारियों का प्रदर्शन करना सरकार के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर सकता है। हालांकि पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में हुई इस असमय वृद्धि को लेकर विगत कुछ दिनों से विपक्ष भी सरकार पर हावी है। खबरों की इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि कानपुर और उसके आसपास के जिलों में भारत बंदी की क्या स्थिति है।
कानपुर के आसपास के जिलों में कुछ यूं रही स्थिति
जिस जोश के साथ भारत बंद को ऐलान किया गया था, सुबह जिस पहल काे आंदाेलन में तब्दील करने की चर्चा हो रही थी दोपहर होते-होते तक सब धुंआ हो गया। कानपुर नगर, फतेहपुर, रायबरेली, फर्रुखाबाद, इटावा, उन्नाव, कानपुर देहात, उरई, औरैया, हमीरपुर महोबा में अभी तक तो स्थितियां सामान्य ही हैं। लगभग सभी जगह बाजार खुले हैं, ग्राहक भी हैं। कुल मिलाकर फिलहाल बाजारों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में ये बंदी बेअसर दिखी। हालांकि इस दौरान जब हमने दुकानदारों से पूछ तो उन्होंने उत्तर दिया कि पहले कोरोना फिर लॉकडाउन की मार झेल चुका हमारा व्यापार और समझौता करने की स्थिति में नहीं है।
क्या-क्या रहेगा बंद
एक करोड़ ट्रांसपोर्ट्स ने 26 फरवरी को हड़ताल और चक्का जाम करने की घोषणा की है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के एसोसिएशन और टैक्स एडवोकेट्स ने भी अपने क्लाइंट्स को सूचित किया है कि वह शुक्रवार को ऑफिस में ना आएं, यानी उनके ऑफिस भी बंद रहेंगे। करीब 1500 जगहों पर धरना दिए जाने की भी घोषणा की गई है।
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