Uncategorized सरकार की उपलब्धियां गिनाने में जनप्रतिनिधियों को महारत हासिल aapkikhabre July 14, 2020 1 min read Spread the love फतेहपुर/नि.सं.जनपद के विकास को लेकर जनप्रतिनिधि कभी भी संवेदनशील नहीं रहे। केंद्र व प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद जिले के सांसद से लेकर सभी छह विधायकों का भाजपा व समर्थित दल से चुने जाने से लोगों में आस जागी थी कि शायद जनपद के विकास की तस्वीर बदली नजर आएगी लेकिन जिस तरह से जनप्रतिनिधियों द्वारा लोगों की समस्याओं से किनारा कर विकास को तवज्जो नहीं दी जा रही है। उससे जिले की तस्वीर सुधरने के बजाय बदहाल ही होती जा रही है। जनप्रतिनिधि अखबारों में फोटो छपवाने तक सीमित हो गए हैं और केंद्र व प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को गिनाने में उन्हें महारत हासिल हो गयी है लेकिन जमीनी हकीकत से वह मुंह मोड़े हुए हैं। जिसका नतीजा है कि लोग मूलभूत समस्याओं से आज भी जूझ रहे हैं। बात अगर शहर क्षेत्र की करें तो जल निकासी एवं खस्ताहाल सड़कों की व्यवस्थाओं के लिए नगर पालिका प्रशासन तक ही लोग सीमित हैं। निर्धारित सीमित बजट व संसाधनों में आखिर नगर पालिका विकास कराए तो कितना? मजेदार बात तो यह है कि केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के साथ साथ विधायक विक्रम सिंह, करण सिंह पटेल, विकास गुप्ता एवं श्रीमती कृष्णा पासवान का आवास तक मुख्यालय में बना है और उनके इर्द-गिर्द की सड़कें ही बदहाल हैं। बरसात के महीनों में जलभराव से जूझते लोगों की फरियाद भी उनके कानों में जूं नहीं रेंगने देती। खबर तो यहां तक है कि शासन सत्ता से पहल कर अतिरिक्त धन जिले के लिए लाकर शहर से लेकर गांव तक की तस्वीर बदलने का काम करने के बजाए कई जनप्रतिनिधि अपनी सड़कों के लिए नगर पालिका से सिफारिश कर बनवा चुके हैं। इससे ज्यादा दुर्भाग्य और क्या होगा कि 6 साल की केंद्र की सरकार और उसमें रही मंत्री के साथ ही सूबे में 3 वर्ष से अधिक की प्रदेश सरकार में भी जनप्रतिनिधि जिले की विकास के काम नहीं करा पा रहे हैं। उल्टा मौरंग के अवैध खनन, ओवर डंपिंग, ओवर लोडिंग, जमीनों में कब्जे में सत्ताधारियों तथा उनके गुर्गों के नाम आते रहे हैं। इनके अलावा सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार, पुलिसिया उत्पीड़न को रोकने के उपायों के बजाय इनकी चुप्पी ने भी लोगों के जेहन में कई सवाल खड़े कर रही है। जन समस्याओं के मामले भी जनप्रतिनिधियों के सामने आते हैं। शहर के वीआईपी रोड की सड़क को डिवाइडर रोड बनाने का नगर पालिका प्रशासन ने बीड़ा उठाया लेकिन मटरगस्त जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी के चलते काम आगे ही नहीं बढ़ सका। गत कई महीने से बदहाल सड़क से जनप्रतिनिधि निकल तो रहे हैं लेकिन अफसरों से किसी ने पूंछने की यह जहमत नहीं उठाई कि आखिर इस सड़क की दुर्दशा क्यों है? विद्युत विभाग खंभों की शिफ्टिंग को लेकर 65 लाख से अधिक की धनराशि अपने खाते में ले जरूर चुका है लेकिन खंभों की शिफ्टिंग करने की अभी तक उसको फुरसत ही नहीं लगी। जिम्मेदार जन प्रतिनिधि सड़क खस्ताहाल होने की जानकारी आने की बात कह रहीं हैं जबकि चंद कदमों की दूरी पर ही उनका आवास है जहां उनका आना-जाना बना रहता है। वीआईपी रोड वह क्षेत्र है जहां से नेताओं सहित दो विधायक भी अपने घर के लिए जाते हैं। शासन सत्ता से आने वाले अधिकारी भी इसी मार्ग से गुजरते हैं। ये बात दीगर है कि खराब सड़क के चलते सत्ताधारी नेता व शासन के अधिकारियों के आने-जाने के रूट में परिवर्तन हो गया है। केंद्रीय राज्यमंत्री की अब ऐसी गैर जिम्मेदाराना बातों का जनता आखिर निष्कर्ष क्या निकाले? केंद्र व प्रदेश में भाजपा सरकार के बाद जनप्रतिनिधि अगर संवेदनशील होने का जरा सा भी प्रयास करते तो जिले के विकास को पंख लग चुके होते लेकिन आज भी इन नेताओं के पास मेडिकल कॉलेज, केंद्रीय विद्यालय व गैस पाइप लाइन जैसी योजनाएं ही गिनाने को हैं। इन योजनाओं में कच्छप गति काम भी शुरू है लेकिन मेडिकल कॉलेज को अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी की योजनाओं से जिले के कितने लोग लाभान्वित हो पाएंगे। यह किसी से भी छिपा नहीं है। जिस केंद्रीय विद्यालय की दुहाई भाजपा नेता कई सालों से दे रहे हैं उसमें अभी शिलान्यास की एक ईंट तक नहीं रखी गई है। बयानबाजी में तो स्कूल कई सालों से चलता आ रहा है लेकिन केंद्रीय विद्यालय मूर्त रूप में परिणित नहीं हो सका और एक के बाद एक सत्र के सत्र जरूर बीतते रहे हैं। यहां एक बात और करना जरूरी है कि जनप्रतिनिधि जनता के लिए दिखावे को जनता दरबार भले ही लगाते रहे हों लेकिन लोगों की अपेक्षाओं में वे खरे नहीं उतरे हैं। लोगों की जरूरतों में नेता नजर ही नहीं आते चाहे उनकी मूलभूत समस्याओं का निराकरण रहा हो या फिर कोरोना काल का संकट का दौर हो। जनप्रतिनिधि दूर-दूर तक उनके साथ खड़े नजर नहीं आए और सोशल मीडिया के जरिए घरों में बैठकर ज्ञान बघारते रहे। हर समस्या के निराकरण एवं विकास के लिए डीएम व सीडीओ तक इनके फोन पहुंचते रहे हैं। शायद इन्हें यह पता नहीं कि रूटीन के काम तो अफसरों से कहकर कराए जा सकते हैं जिसको लेकर अधिकारी अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते भी हैं लेकिन विकास बिना अतिरिक्त बजट के किया ही नहीं जा सकता। रही बात सड़कों की तो एक के बाद एक बदहाल व खस्ताहाल सड़कें सामने आ रही हैं जिनमें लोगों का चलना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण व सुदूरवर्ती क्षेत्रों की बात कौन करे जिला मुख्यालय में ही जलभराव एवं खस्ताहाल सड़कों को लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है। एक बात जरूर है की उठने वाले ठेकों में सत्ताधारियों की धमक जरूर रहती है, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सत्ताधारी लोक निर्माण विभाग एवं ग्रामीण अभियंत्रण सेवा सहित स्थानीय क्षेत्रीय कार्यों में अपनी मजबूत दखल रख रहे हैं। अब तो सांसद व विधायक निधि न होने की बात कहते नजर आएंगे लेकिन एक बात साफ एक है कि जनता की समस्याओं एवं उपेक्षा कर लोगों को कुछ समय तक तो बेवकूफ बनाया जा सकता है लेकिन जागृत जनता चुनाव के समय जागती जरूर है। शायद सत्ता के मद में चूर जनप्रतिनिधि इस हकीकत से फिलहाल रूबरू होना नहीं चाहते। Continue Reading Previous: बारहवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम घोषितNext: आईटीआई के छात्र की तालाब में डूबने से मौत Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. 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