फतेहपुर,संवाददाता,/
रंग बिरंगे त्योहार होली के अवसर पर भाईचारे और एकता का प्रतीक फाग की परंपरा भले ही क्षेत्रों में खत्म होती जा रही हो, लेकिन कुछ स्थानों पर आज भी इस परंपरा को ग्रामीण पूरे उत्साह के साथ अपना रहे हैं। भिटौरा ब्लाक के हुसैनगंज कस्बा निवासी हनुमत प्रसाद विश्वकर्मा व उनके पुत्र जसवन्त विश्वकर्मा (जो एन्टी करप्शन एंड क्राइम ब्यूरो ऑफ इंडिया (ट्रस्ट) में राष्ट्रीय मीडिया अध्यक्ष है।) ने फाग का आयोजन किया। हुसैनगंज कस्बे समेत आसपास के क्षेत्र से काफी लोग दौड़े चले आए। फाग सुनने के लिए आसपास के क्षेत्र से लोग तलत पर उमड़ पड़े। फागोत्सव कार्यक्रम में कलाकारों ने “मुनि संग बालक काके, सखी, रतनारे, नैना जाके” परंपरा की फागों की प्रस्तुति पर श्रोता झूम उठे। श्री विश्वकर्मा ने बताया कि हम फाग प्रति वर्ष कराते हैं फाग गायन के लिए क्षेत्र के महादेवपुर व लखपुरा से कलाकारों को बुलाते हैं। श्री विश्वकर्मा ने बताया कि एक दशक पहले तक होली का त्योहार शुरू होते ही गली-मोहल्ले में फाग सुनाई देने लगता था। होली जलने से एक सप्ताह पहले फाग गाने की परंपरा शुरू होती थी और एक सप्ताह बाद तक चलती थी लेकिन समय के बदलते परिवेश में शहर और कस्बों की तो बात ही छोड़िए, ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग फाग भूलते जा रहे हैं। कलाकार ठाकुर प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि आज यह स्थिति है कि कहीं कोई फाग गीत सुनने को ही नहीं मिलता। आज लोग भाईचारा पूरी तरह भूल चुके हैं और लोगो में फाग गाने की परंपरा नहीं है। चार लोग एक जगह एकत्रित होकर कोई भी त्यौहार मनाना पसंद नहीं करते हैं। भले ही हर जगह फाग गाने की परंपरा समाप्त होती जा रही हो लेकिन भिटौरा ब्लाक क्षेत्र के गांवों में आज भी यह परंपरा देखने को मिली। फाग में मुख्य रूप से महादेवपुर के कलाकार राज कुमार बाजपेई, ठाकुर प्रसाद विश्वकर्मा, रामनरेश विश्वकर्मा, मनोज बाजपेई, कधई, रामप्रसाद, रामशंकर, बिन्दा प्रसाद मौर्य, रमेश, गनेश, कैलाश अवस्थी, गजोधर, रज्जन, दिनेश पाल, राजन, रामबाबू, रामकुमार, रघ्घू आदि कलाकार और लखपुरा के कलाकारो में हरीप्रसाद निषाद, शिवधनी निषाद, रामसजीवन, शिवप्रकाश, सोहन, धनीराम, सूरज, रामकुमार, राम आसरे, पीताम्बर, भोलई, राजेन्द्र, गोवर्धन, राममनोहर, सुरेन्द्र, आशीष, छोटे सविता, रोहन, देवीचरण सहित कई सैकड़ा दर्शक लोग मौजूद रहे।