फतेहपुर,संवाददाता,/
रंग बिरंगे त्योहार होली के अवसर पर भाईचारे और एकता का प्रतीक फाग की परंपरा भले ही क्षेत्रों में खत्म होती जा रही हो, लेकिन कुछ स्थानों पर आज भी इस परंपरा को ग्रामीण पूरे उत्साह के साथ अपना रहे हैं। मलवां ब्लाक के रेवाड़ी बुजुर्ग गांव स्थित छोटा शिवाला शिव मंदिर में मंदिर कमेटी के सदस्यों द्वारा फाग का आयोजन किया गया। रेवाड़ी कस्बे समेत आसपास के क्षेत्र से काफी लोग मंदिर परिसर में दौड़े चले आए। फाग सुनने के लिए आसपास के क्षेत्र से लोग तलत पर उमड़ पड़े। फागोत्सव कार्यक्रम में कलाकारों ने शास्त्री संगीत एवं बुन्देली परंपरा की फागों की प्रस्तुति पर श्रोता झूम उठे। कमेटी के सदस्य एवं समाजसेवी अजीत कुमार सैनी ने बताया कि एक दशक पहले तक होली का त्योहार शुरू होते ही गली-मोहल्ले में फाग सुनाई देने लगता था। होली जलने से एक सप्ताह पहले फाग गाने की परंपरा शुरू होती थी और एक सप्ताह बाद तक चलती थी लेकिन समय के बदलते परिवेश में शहर और कस्बों की तो बात ही छोड़िए, ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग फाग भूलते जा रहे हैं। वीरेंद्र पांडेय ने बताया कि आज यह स्थिति है कि कहीं कोई फाग गीत सुनने को ही नहीं मिलता। आज लोग भाईचारा पूरी तरह भूल चुके हैं और लोगो में फाग गाने की परंपरा नहीं है। चार लोग एक जगह एकत्रित होकर कोई भी त्यौहार मनाना पसंद नहीं करते हैं। भले ही हर जगह फाग गाने की परंपरा समाप्त होती जा रही हो लेकिन मलवा क्षेत्र के रेवाड़ी बुजुर्ग गांव स्थित छोटा शिवाला शिव मंदिर में आज भी यह परंपरा देखने को मिली। फाग में मुख्य रूप से चन्द्र कुमार अग्निहोत्री, शिव अर्जुन वर्मा, प्रशांत पांडेय, रवि मिश्रा, पम्मू मिश्रा, रमेश वर्मा, गुड्डन पांडेय, पियूष दीक्षित, राम त्रिवेदी, पुत्तन पांडेय, आशू पांडेय, कुलदीप सैनी, दिलीप सैनी, इंद्रपाल यादव, राजेश अग्निहोत्री, सहित कई सैकड़ा लोग मौजूद रहे।