उत्तर प्रदेश/नोएडा,
अभी तक सरकार का बुलडोजर ही केंद्र में था पर आज से बारूद भी अराजकतत्वों के खिलाफ अमोद्य अस्त्र बन गया है। समाज का एक बड़ा तबका ट्विन टावर मामले में हुई कार्रवाई को इसी नजरिए से देख रहा है। प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह का मानना है कि अवैध निर्माण पर रोक तो लगनी ही चाहिए। किसी के लिए भी ये हितकर नहीं है।
चाहे अवैध कालोनी हों या फिर अमीरों द्वारा किया गया अवैध निर्माण। पहले अवैध कालोनी बसा दी जाती हैं फिर बिजली चोरी की जाती है और फिर मानवीय कारणों से पानी की व्यवस्था कर दी जाती है। चुनाव के समय उन कालोनियों को वैध घोषित कर दिया जाता है। ऐसे ही अमीरों में पैसे का गुरूर होता है। सोचते हैं कि वह सब कुछ खरीद सकते हैं। उनके संबंध बड़े अधिकारियों से लेकर नेताओं तक होते हैं। ऐसे में अवैध निर्माण जरूर गिराए जाने चाहिए। ताकि दूसरे लोग ऐसी हिमाकत न कर सकें और अमीर भी अवैध निर्माण करने से बाज आएं।
प्रदेश में अभी तक मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के बुलडोजर की चर्चा आम हुआ करती थी। जैसे ही कोई अपराधी अपराध करके फरार होता था, तो उसके अवैध मकान और अन्य संपदाओं पर तत्काल बुलडोजर गरजने लगता था। बिल्डिंगों का ध्वस्तीकरण कर दिया जाता था। जिस तरह रविवार को नोएडा के ट्विन टावर का बारूद लगाकर ध्वस्तीकरण हुआ उससे बुलडोजर बीते जमाने की बात लगने लगी है। इंटरनेट मीडिया पर चर्चा होने लगी कि फलां शहर की बिल्डिंग भी गलत तरीके से बनी है, उसे भी बारूद लगाकर गिराया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर कुछ ऐसा प्रसिद्ध हुआ कि दूसरे राज्यों के लोगों ने भी इसे खूब सराहा है। बुलडोजर का डर भी अपराधियों में खूब रहा, कई ऐसे अपराधी रहे जो थाने में जाकर सीधे आत्मसमर्पण करने पहुंच जाते थे। भले ही नोएडा में ट्विन टावर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिराया गया है, लेकिन आमजन जो अवैध बिल्डिंगों से किसी न किसी रूप में त्रस्त हैं।
अब यह मांग भी जोर पकडऩे लगी है कि जिस तरह से नोएडा में ट्विन टावर को गिराया गया है, उसी तरह उनके यहां की अवैध इमारतों को भी ध्वस्त किया जाए। नोएडा ही नहीं प्रदेश में इस समय बड़ी संख्या में अवैध भवन बने हुए हैं। समय-समय पर इनके ध्वस्तीकरण की मांग भी हुई, कुछ मामले कोर्ट तक भी पहुंचे पर समय के साथ ध्वस्तीकरण की मांग पर धूल चढ़ती चली गई। यदि बात नोएडा की करें तो जिस समय ट्विन टावर को बनाने के लिए फाइल सरकारी तंत्र की मेज पर थी, उस दिन दस फाइलें उसी तरह की कुछ अन्य बिल्डिंग बनाने के लिए उसी मेज पर रखीं थी। ट्विन टावर के साथ उन्हें भी पास कर दिया गया था। इस समय अकेले नोएडा में ही ट्विन टावर की तरह ही सौ इमारत खड़ी हैं। जिनको लेकर आवाज तो उठी, लेकिन किसी न किसी रूप में उन्हें दबा दिया गया। नोएडा की तरह ही लखनऊ, बनारस, प्रयागराज, गाजियाबाद में भी तमाम ऐसे भवन हैं जो किसी न किसी रूप में अवैध हैं। इंटरनेट मीडिया में तो दूसरे राज्यों से भी अवैध बिल्डिंग को बारूद लगाकर ध्वस्त करने की बात उठी है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एवं नोएडा इंटर नेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर विक्रम सिंह कहते हैं कि जहां बुलडोजर की जरूरत हो उसे चलाया जाए और जहां बारूद की जरूरत हो उसका प्रयोग किया जाए, लेकिन अवैध निर्माण पर रोक तो लगनी ही चाहिए। जिस तरह से भ्रष्टाचार की नींव पर ये इमारत खड़ी की गई और आज उसे गिरा दिया गया, यह दूसरे लोगों के लिए सबक होगा।
यह टावर एक दिन में खड़े नहीं किए गए, बल्कि इन्हें बनाने में समय लगा था। जिन अधिकारियों ने इन्हें बनाने में सहयोग किया उनमें से कुछ पर कार्रवाई हुई, लेकिन अभी भी कुछ कार्रवाई के दायरे से बाहर हैं। उन पर भी कानून का शिकंजा कसना चाहिए। ताकि अवैध निर्माण करने से पहले लोग सौ मर्तबा सोचें।
ट्विन-टावर ध्वस्तीकरण से पहले घटना स्थल पर मौजूद एक फ्लैटधारक सवाल करने गले- इन टावरों को गिराकर क्या मिला? इनका निर्माण अवैध था, तो उन्हें बनने क्यों दिया गया? इन्हें गिराकर एक गलत काम की सजा तो मिल गई, पर इनके निर्माण की अनुमति देने वालों का क्या हुआ।
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November 10, 2023