फतेहपुर/संवाददाता,
–अवैध नर्सिंग होमो पर आखिर क्यों मेहरबान है स्वास्थ्य महकमा।
-मुरादीपुर चैराहे से गुनीर रोड पर चंद कदम की दूरी पर संचालित है मानकविहीन दीप हॉस्पिटल।
-भूतल में संचालित है मरीजों के ऑपरेशन एवं भर्ती करने की व्यवस्था।
-दीप हॉस्पिटल मुरादीपुर की पूर्व में भी क्षेत्रीय लोगों द्वारा स्वास्थ्य विभाग में की जा चुकी है शिकायतें-सूत्र।
-खुलेआम भर्ती मरीजों के तीमारदारों के जेब में डाला जा रहा डाका, स्वास्थ्य विभाग चुप्पी समझ से परे।
जनपद में संचालित हो रहे अवैध नर्सिंग होमों के खिलाफ लाख शिकायतों के बावजूद भी सेहत महकमा नहीं जाग रहा है। सबसे बड़ी बातयह है कि बीते एक माह के अन्दर ही नर्सिंग होम संचालकों की लापरवाही से तीन लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि समय-समय पर सुर्खियां बटोर रहे नर्सिंग होमों पर सेहत महकमे का चाबुक ना चलना सेटिंग-गेटिंग की कहानी बयां करता है। शासन व प्रशासन लोगो की सेहत को लेकर चाहे जितनी भी योजनाएं बना लें, किन्तु जब तक सिस्टम का खेल जारी रहेगा इसका फायदा जनता को मिलना नामुमकिन नजर आता है। स्वास्थ्य महकमा चाहे जितना भी गंभीरता दिखा लें, लेकिन स्वास्थ्य माफियाओं के आगे कहीं न कहीं शासन-प्रशासन हमेशा ही पंगु व बौना साबित हुआ है। आम जनता के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर व चिंतित उत्तर प्रदेश की योगी सरकार या यूं कहें कि उप मुख्यमंत्री/स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक की जमीनी मेहनत पर भी स्वास्थ्य विभाग के ठेकेदार पलीता लगाते हुए दावा करते होंगे कि आप अपनी नेतागिरी चलाओ और हम माफियागिरी से बाज नहीं आयेंगे।
इसका जीता जागता उदाहरण गाँव व शहरों में अवैध रूप से संचालित हो रहे हॉस्पिटल, पॉली क्लीनिक, पैथोलॉजी चलाने वाले छोलाछाप संचालकों की खुली दुकानें है, जिन्हें मैनेज करना आता है। फिर चाहे किसी के जान जाने की कीमत ही क्यूँ न चुकानी पड़े। अक्सर लोग कहते हैं कि जिंदगी बहुत कीमती है, लेकिन ऐसी जगह पर आपकी ये मिथ्या दूर हो जाती है क्यूंकि अवैध अस्पतालों में किसी के जान की न तो परवाह की जाती है और न ही जान की कीमत समझी जाती है। यहां बस नोटों वाली कीमत ही समझी जाती है। खासकर कई नौसीखिए अपने आपको डॉक्टर कहलाकर लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर गाढ़ी कमाई हड़प कर मालामाल हो रहे है और दिन दूनी रात चैगुनी तरक्की कर रहे है। धड़ल्ले से बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चल रहे हास्पिटलों के संचालकों का दावा है कि नीचे से ऊपर तक सभी को मैनेज करते हैं। हांलाकि किस तरह से मैनेज करते हैं इस बात की पुष्टि हम नहीं कर सकते पर जिस तरीके से बिना रोक-टोक धड़ल्ले से हॉस्पिटलों का संचालन हो रहा है वह कहीं न कहीं स्वास्थ्य महकमे खासकर मुख्य चिकित्साधिकारी पर सवालिया निशान खड़ा करते हैं। सूत्रों की मानें तो हॉस्पिटलों की आंड में महिला स्टाफ के माध्यम से गर्भपात आदि का भी अवैध गोरख धन्धा चलाया जा रहा है एवं अंग्रेजी दवाओं का भी स्टॉक रखकर बेचा जाता है। यदि ऐसा कुछ हो रहा है तो स्वास्थ्य विभाग के साथ ही औषधि प्रशासन के निरीक्षक व अधिकारियों पर भी सवाल उठना लाजमी है। आपको बताते चलें कि बिन्दकी तहसील क्षेत्र के कल्यानपुर थाना क्षेत्र के मुरादीपुर चैराहा से गुनीर को जाने वाले मार्ग पर चंद कदम की दूरी पर स्थित दीप हास्पिटल के संचालक द्वारा मानक की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए बिना रजिस्ट्रेशन, बिना मानक एवं बिना फायर एनओसी के संचालित किया जा रहा है। इस हॉस्पिटल की कई बार शिकायतें भी स्वास्थ्य विभाग मेें की गयी, किन्तु आज तक कार्यवाही न होना बताता है कि कहीं न कहीं सांठ-गांठ का खेल जारी है। आखिरकार जनपद का स्वास्थ्य विभाग इन मानक विहीन संचालित हॉस्पिटलों पर अपना हंटर कब चलाएगा या फिर जनपद में कोई बड़ी घटना घटित हो जाएगी तभी स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी नींद खुलेगी। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि दीप हास्पिटल भूतल पर संचालित किया जा रहा है जो मरीजों की जान जोखिम में डालने का मुख्य कारण है। उपचार के नाम पर भूतल पर पर्दे लगाकर संचालित आपरेशन रूम व मरीजों को भर्ती किये जाने की व्यवस्था यह बताती है कि यहाॅ पर कोई बड़ी अनहोनी कभी-भी घटित हो सकती है, किन्तु इस ओर से पूरी तरह जानकर भी अंजान बने बैठे सेहत महकमे के जिम्मेदार यह साबित करते है कि वह जनमानस की जिन्दगी को लेकर कितने गंभीर है।