फतेहपुर/संवाददाता,
शहर के चौधराना मोहल्ले में हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव की ससुराल है। ससुराल आने पर वह अपना पूरा समय सास श्यामा श्रीवास्तव के साथ ही बिताते थे। एक जून को सास के तेरहवीं संस्कार में शामिल होने वह यहां आए थे। अरविंद श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव और संजय श्रीवास्तव की बड़ी बहन अर्चना श्रीवास्तव की शादी राजू श्रीवास्तव के बड़े भाई चंद्रपकाश श्रीवास्तव से हुई थी। इसके बाद अर्चना की चचेरी बहन शिखा श्रीवास्तव से राजू की शादी हुई थी। राजू और शिखा के एक पुत्री अंतरा और एक पुत्र आयुष्मान हैं। राजू के दोनों साले आशीष और पीयूष लखनऊ में रहते हैं। वहीं नौकरी करते हैं। चचेरे साले अरविंद, सुनील और संजय श्रीवास्तव फतेहपुर में रहकर शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। शहर के चित्रांश नगर में चिल्ड्रेन पब्लिक स्कूल, बिन्दकी और बकेवर में संचालित है। राजू श्रीवास्तव को दिल्ली के अस्पताल में निधन हो गया है।
चचिया सास के हाथ की कढ़ी के मुरीद थे राजू भैया
रील लाइफ में छाए रहने वाले गजोधर भैया नाम से मशहूर राजू श्रीवास्तव रियल लाइफ में भी अलमस्त थे। दिवंगत हास्य कलाकार राजू की ससुराल शहर के चौधराना मोहल्ले में है। ससुराल आने पर वह अपना पूरा समय चचिया सास श्यामा श्रीवास्तव के साथ ही बिताते थे। इस साल मई में सरहज का निधन हो गया था। एक जून को राजू उनकी तेरहवीं संस्कार में शामिल होने फतेहपुर आए थे। अरविंद श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव और संजय श्रीवास्तव की बड़ी बहन अर्चना श्रीवास्तव की शादी राजू के बड़े भाई चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव से हुई है। अर्चना की चचेरी बहन शिखा से राजू की शादी हुई थी। शिखा के पिता विशंभर नाथ और मां लाजवंती वर्तमान में लखनऊ में रहती हैं। राजू और शिखा के पुत्री अंतरा और पुत्र आयुष्मान हैं। राजू के दोनों साले आशीष और पीयूष लखनऊ में रहते हैं। वहीं नौकरी करते हैं। चचेरे साले अरविंद, सुनील और संजय फतेहपुर में स्कूल संचालित करते हैं। शहर के चित्रांश नगर, बिन्दकी और बकेवर में चिल्ड्रेन पब्लिक स्कूल संचालित है। छोटे साले संजय बताते हैं कि उनकी मां श्यामा राजू की चचिया सास थीं। उनसे राजू को इतना लगाव था कि जब भी यहां आते पहले से कढ़ी-चावल बनना तय हो जाता था। यह कहना नहीं भूलते थे कि बनाएंगी सासू मां ही। वह सास के हाथ बनी कढ़ी और चावल के मुरीद थे। खाने के बाद उनके साथ बैठते और घर-परिवार की पुरानी यादें जरूर ताजा करते। परिवार के बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित तो करते थे लेकिन यह भी सिखाते थे कि अपने पैशन को जरूर फॉलो करो। भतीजे हर्षित ने बताया कि चौधराना वाले घर में जब भी फूफा (राजू श्रीवास्तव) को आना होता तो उनके रिश्तेदारों के साथ-साथ पड़ोसियों और मित्रों को भीड़ लग जाती थी। अपने सालों के दोस्तों के कंधे पर हाथ रखकर फोटो तो खिंचाते ही हंसी मजाक में थोड़ी टांग खिंचाई भी कर देते थे। कम समय में भी उनकी पूरी कोशिश होती कि सभी के साथ थोड़ा वक्त बिता लें। खाने में भिंडी की सब्जी बेहद पसंद थी। सरहजों के साथ रसोई में हाथ भी बंटाते थे। मई माह में बड़ी सरहज गुजर गईं तो एक जून को उनकी तेरहवीं में राजू का आखिरी बार यहां आना हुआ था। घर में शाम की चाय के साथ पूरे परिवार को एक साथ बैठाकर मिमिक्री करना और अंत्याक्षरी खेलना नहीं भूलते थे। जबसे वह बीमार हुए सभी उनके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे। बुधवार जब उनके निधन की खबर मिली तो पूरा परिवार अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली रवाना हो गया।