फतेहपुर/संवाददाता,/
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धाता के उरई गाँव मे फैले डायरिया ने व्यापक रूप से पाँव पसार लिया है हालात यह है कि धाता प्रभारी डाक्टर ग्राम प्रधान से फोन पर हालचाल लेने की बात कह रहें है। मौके पर कोई भी टीम गाँव का रूख नही कर रही है वही जब प्रभारी डाक्टर से फोन पर बात की गई तो पहले उन्होंने इमरजेंसी मे होने की बात बताई,लेकिन जब मीडिया कर्मियों ने पूछा की हम तो यही आपके अस्पताल मे आये हुये है तो बताया कि अभी मै थोडी देर पहले निकल आया हूं मेरे बच्चें की तबियत खराब है। वही मौके मे डाक्टर राजेंद्र और शिव सिंह के सहारे इमरजेंसी के सहारे अपनी सेवाएं देने मे लगे हुये है। इन धरती के भगवान रूपी डाक्टरों को उरई गाँव फैली संक्रामक बीमारियों से कोई लेना देना नहीं था,हालात सभी को पता थे लेकिन कोई भी डाक्टर जहमत उठाने को तैयार ही नही हो रहे थे।तीमार अपने अपने नौनिहाल बच्चों को लेकर इधर उधर इलाज के अभाव मे अस्पताल परिसर मे ही बिलबिला रहे थे। जानकर सूत्रों के मुताबिक कुछ तीमारदार अपने अपने मरीजों को लेकर अन्य पडोसी जनपद के भी अस्पताल पहुच रहे है। धाता प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जब पत्रकारों के कैमरे चमके तो यहा के उपास्थित डाक्टरों मे हलचल पैदा हो गई कोई फोन पर प्रभारी डाक्टर राजीव जयसवाल को सूचना देकर उनका खाँस बनते देखा जा रहा था तो किसी के मोबाइल की घंन्टी घनघना रही थी,बरसात के होने के कारण इस उरई गाँव आने जाने मे लोगों को बडीं ही कठिनाइयों भरी राहे गुजारने को ग्रामीण मजबूर हो रहे है। ग्रामीणों के मुताबिक सक्रामक बीमारी का सिलसिला दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।जिसको प्रभारी डाँ राजीव जायसवाल छुपाने मे लगे हुये है और जो लोग अपने बीमार बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल पहुच रहे है, उनको ईलाज करके अस्पताल परिसर के खुले मे बच्चों को लेटाने के लिए परिजनो से कहने की बात कह रहें है।तीमारदारों ने बताया कि सक्रामक बीमारी ने भयावह रूप ले लिया है और डाक्टरों की टीम समय रहते यदि सही समय पर इलाज मुहैया करा देती तो आज यह हालात देखने को हम लोग मजबूर न होतें। आप भी बायरल बीडयों में साफ साफ देख सकतें है कि नौनिहाल बच्चों को किस तरह से अस्पताल परिसर मे इलाज के बाद बाहर लेटा दिया गया है। फोन पर हुई प्रभारी डाक्टर जायसवाल बस ग्राम प्रधान के सहारे गाँव की नब्ज टटोलने की बात कर रहे थे।
वही कुछ आर बी एस के टीम के डाक्टर धाता स्थिति पुराने अस्पताल पर एक फार्मासिस्ट के सहारे इलाज करते देखें गये। बस एक रटारटाया जवाब दे रहे थे कि उरई मे डायरिया फैला हुआ है सभी लोग वहीं गयें हुये है जबकि हकीकत कुछ और ही है। इसमे से कुछ दन्त रोग और आँख से सम्बंधित डाक्टर तो कभी आते ही नहीं है। जानकार सूत्रों के मुताबिक ससमय बेतन भी निकल जाता है। जिसका कुछ हिस्सा विभागीय अधिकारियों तक भी साठगांठ के आरोप लग रहे है। यहाँ के प्रभारी डाक्टर राजीव जयसवाल शुरू से ही विवादों के घेरें मे बने रहें है।
वही प्रसूता महिलाओं की डिलेवरी के नाम पर भी यदि सही से जाँच हो जाये पूरा काला जादू का पिटारा भी खुलकर सामने आ जाये। इसमें भी डिलेवरी के समय आशा और नर्स के माध्यम से जो लेनदेन होता है उसमे भी स्टाफ मे बटवारा होता है। स्थानीय एक महिला ने आरोप भी लगाये थे कि छः सौ रूपये डिलेवरी के नाम पर लिये गये है।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ स्थानीय लोगों ने बताया की लाईट न होने की वजह से लाखों रूपये की लागत से स्थापित जंगलेटर न चलाकर बाहर ही खिलाने को और खुले आसमान के नीचे मरीजों को मजबूर किया जाता है।