फतेहपुर,संवाददाता,/
-31दिस.सडक सुरक्षा पखवाड़ा के समापन पर सोशल मीडिया अकाउंट में स्टेटस लगाए जाने का दिया था फरमान।
-हर घर तिरंगा की तरह चलाया जाना था जागरूकता का अभियान।
-यातायात नियमों के पालन एवं जागरूकता में केवल खानापूरी करते जिम्मेदार।
-जिनके ऊपर नियम कायदों के पालन की जिम्मेदारी वही उड़ाते धज्जियां।
-दोआबा के लोग भी बेलौस,अलमस्त होकर निकलते सड़कों पर।
-चालानी कार्रवाइयों से जिले के लोगों को नहीं रहा खौफ।
-लोगों में बनी आम धारणा पकड़े गए तो छूटने का बड़ा जरिया है नजराना।
-चौराहों पर व्हाट्सएप, फेसबुक और गप्पें मारते दिखते हैं यातायात और पुलिस के जवान।
भले ही बढ़ी दुर्घटनाओं एवं दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों को लेकर शासन चिंतित व गंभीर हो लेकिन फतेहपुर जिले के अफसर बेपरवाह हो गए हैं। यातायात नियमों की जागरूकता को लेकर चलाए जाने वाले अभियान महज खानापूरी तक सीमित हैं और तो और जिनके ऊपर यातायात नियमों के पालन कराने की जिम्मेदारी है वही बेफिक्री से उनकी धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। लोगों की क्या कहें वे इतने फिक्रमंद हैं जैसे उनकी मौत से यारी हो गई हो। तभी तो यातायात नियमों को हवा में उड़ा सड़कों पर मस्ती लोगों की नजर आती है। खासकर युवा। आज सड़क सुरक्षा पखवाड़ा का समापन है। मुख्य सचिव ने “हर सफर में सड़क सुरक्षा” के जिस स्लोगन के स्टेटस को लगाने का फरमान अफसरों को दिया था वही अधिकारी ही जागरूकता की बात कौन करें अपने खुद के सोशल मीडिया अकाउंट पर स्टेटस लगाना भूल गए। फिर आम लोगों से इसकी उम्मीद क्या की जा सकती है।
फतेहपुर जनपद प्रयागराज एवं कानपुर महानगर के बीच में बसा है। राष्ट्रीय मार्ग होने के चलते दुर्घटनाओं की संख्या यहां बहुतायत है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए वैसे हमें ही नियम कानूनों का पालन कर सड़कों पर निकलना चाहिए लेकिन यहां दोआबा की धरती के लोगों का अलग अंदाज नजर आता है। बेलौस, बेफ्रिक, मस्ती पसंद लोग यातायात नियमों एवं कानून को जैसे जेब में रखते हों। वहीं जिनके कंधों पर लोगों में जागरूकता एवं सख्ती की जिम्मेदारी है वही मनमानी करते नजर आते हैं। आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि जिले में यातायात नियमों के पालन कराने को लेकर चाहे प्रशासन रहा हो पुलिस रही हो या फिर परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारी रहें हों कार्रवाईयां कर उन्होंने केवल नौकरी सुरक्षित रहे उतनी जहमत की है। जुलाई माह से लेकर 8 दिसंबर तक चलाए गए अभियान में ड्राइविंग लाइसेंस, हेलमेट, तीन सवारी, पार्किंग, नंबर प्लेट एवं सीट बेल्ट ना बांधनें में पूरे जिले में 33607 चालान किए गए।
वाहन चेकिंग के नाम पर यहां होने वाली खानापूरी कोई नई बात नहीं है। दूर दराज के क्षेत्रों की बात कौन करे मुख्यालय में ही विभिन्न चौराहों पर लगे रहने वाले यातायात एवं पुलिस के जवानों की व्हाट्सएप चैटिंग, फेसबुक का प्रेम व गप्पेबाजी देखी जा सकती है। शासन या फिर कमांडर के आदेश पर थोड़ी चहल कदमी करने वाले ये जिम्मेदार जितनी चालानी कार्रवाइयां करते हैं उससे ज्यादा कहीं ना कहीं अपने लिए भी काम करते नजर आते हैं। नतीजतन यहां लोगों के बीच एक आम सी धारणा बन गई है कि पकड़े गए तो नजराना देकर छूटना आसान कड़ी है। तभी तो ना अफसरों के आदेश और ना ही सख्ती लोगों की बेपरवाही पर लगाम लगा पा रही है। यातायात पखवाड़े का आज समापन है। जोर-शोर से शुरुआत करने वाले अफसर महज आदेशों एवं खानापूरी तक सीमित हो गए। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा जारी किए गए फरमान को भी यहां के प्रशासनिक, पुलिस, यातायात, परिवहन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने हवा में उड़ा दिया। सोशल मीडिया अकाउंट पर जिस स्टेटस को लगाए जाने का आदेश जारी हुआ था उसमें पुलिस अधीक्षक के स्टेटस को अगर छोड़ दिया जाए तो फिलवक्त चीफ सेक्रेटरी के आदेश की नाफरमानी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। फिर आम आदमी की जागरूकता का क्या हुआ होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बावजूद इसके जीवन की रक्षा एवं सुरक्षा के लिए जितनी जागरूकता की जिम्मेदारी अफसरों की है उससे कहीं जिम्मेदारी हम सब की है कि यातायात नियमों का पालन करें एवं सुरक्षित रहें।