हथगांव/फतेहपुर,/
-पहले जिलाधिकारी और अब कमिश्नर ने फर्जी पाया जाति प्रमाण पत्र।
-ढाई माह से अधिक का गुजर गया समय पर कार्रवाई के लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका विभाग।
-शिकायतकर्ता ने भी लगाए गंभीर आरोप।
-अधिकारियों के आदेशों को हवा में उड़ाने के आदी हो गए हैं अधिकारी।
-जब कमिश्नर का आदेश हो गया अंडर टेबल तो फिर आम आदमी कैसे करे न्याय की उम्मीद।
-मोमिन अंसार का पिछड़ा वर्ग का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर हथियाई प्रधानी।
-वंश वृक्ष, राजस्व अभिलेखों, राशन कार्ड, शैक्षिक अभिलेखों, फसली खतौनी में सामान्य जाति का आया ग्राम प्रधान।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर ग्राम प्रधानी हथियाने वाले के डीपीआरओ सुरक्षा कवच बन गए हैं।तभी तो जिला पंचायत राज अधिकारी मंडलायुक्त की गठित कमेटी द्वारा प्रधान का जाति प्रमाण पत्र फर्जी बताकर जिलाधिकारी के निरस्तीकरण के दिए गए आदेश को बहाल रखने के आर्डर को भी अंडर टेबल कर दिया है। गत 22 जून को जारी किए गए आदेश में प्रधान के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए विभाग एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका है। मामला हथगांव विकास खंड के गौरा बुजुर्ग ग्राम पंचायत का है जहां ग्राम प्रधान अब्दुल कलीम द्वारा मोमिन अंसार का पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवा कर प्रधानी हथिया ली, लेकिन हकीकत में वह सामान्य जाति के शेख बिरादरी से ताल्लुक रखता है। अब्दुल कलीम द्वारा पिछड़ा वर्ग का फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने की शिकायत जिलाधिकारी से 10 जून 2021 को हुई थी जिसमें जिलाधिकारी द्वारा सत्यापन कराने के बाद अब्दुल कलीम के जारी जाति प्रमाण पत्र 423213007175 दिनांक 28-03-2021व प्रमाण पत्र 423173005720 दिनांक 27-07-2017 को 22-01-22के आदेश में निरस्त कर दिया। आदेश के विरुद्ध ग्राम प्रधान ने 31जनवरी 22 को मंडलीय फोरम में अपील की। जिलाधिकारी की आख्या में गांव के 106 लोगों द्वारा ग्राम प्रधान को सामान्य जाति का होना बताया गया। उसमें ग्राम प्रधान के चाचा समेत आधा दर्जन परिजनों के भी बहलफ बयान दर्ज हैं।फसली खतौनी,राजस्व अभिलेखों, शैक्षिक अभिलेखों, राशन कार्ड आदि का जो सत्यापन हुआ उसमें भी अब्दुल कलीम की जाति सामान्य के रूप में सामने आई हलांकि कुछ मैनुअल दस्तावेजों में उसके मोमिन अंसार होने की बात कही गई लेकिन ये सत्य, तथ्यपरक एवं मान्य नहीं पाए गए। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान अब्दुल कलीम के ग्रैंडफादर का भी पूरा सजरा वंश वृक्ष जो निकाला गया उसमें उसकी जाति सामान्य श्रेणी की आई है। कलीम एवं उसकी पुत्री फरीजी बानो के शैक्षिक प्रमाण पत्र में भी पिछड़ी जाति का कहीं उल्लेख नहीं पाया गया।
मामला माननीय उच्च न्यायालय तक गया जहां से उसे राहत नहीं मिली और माननीय न्यायालय ने याचिका संख्या 13838/1997 के निर्णय का हवाला देते हुए यह माना कि शेख सम्मान सूचक शब्द है ना कि जाति। मंडलीय समिति ने सभी साक्ष्यों,दोनों पक्षों के बयानों एवं सरकारी दस्तावेजों के हवाले जो आदेश जारी किया उसमें वंश वृक्ष का भी हवाला दिया गया है। परिवार के 6 सदस्यों ने सामान्य जाति का होना बताया गया है। नकल फसली खतौनी, राशन कार्ड आदि में भी उल्लेख सामान्य जाति का ही पाया गया है। संयुक्त निदेशक अभियोजन ने अपनी रिपोर्ट में सामान्य जाति का हवाला दिया है और उसी के बाद मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय समिति अपर जिलाधिकारी न्यायिक धीरेंद्र प्रताप उपनिदेशक युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल संदीप कुमार उपनिदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण रामकृष्ण वर्मा ने जिलाधिकारी के द्वारा जाति प्रमाण पत्र के निरस्त करने के आदेश को बहाल रखा।
गत 16 जून को जारी हुए इस आदेश की प्रति जिलाधिकारी एवं जिला पंचायतराज अधिकारी को भी भेजी गई लेकिन ढाई माह से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी फर्जी तरीके से प्रधानी हथियाने वाले अब्दुल कलीम के विरुद्ध एक कदम भी विभाग आगे नहीं बढ़ सका है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरीके से भ्रष्टाचारियों का सुरक्षा कवच विभागीय अधिकारी बनें हैं। या यूं कहा जाए कि जिला पंचायतराज अधिकारी उच्चाधिकारियों के आदेशों को हवा में उड़ाने के आदी हो गए हैं और उन्होंने अपनी कुर्सी को सुपर सीट बना रखी है। प्रधानी के चुनाव में रनर अप रहे कूड़ा करनई मजरे गौरा बुजुर्ग के रहने वाले अजय कुमार ने भी विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। आरोप लगाया है कि इतनी लंबी लड़ाई लड़ने एवं जिलाधिकारी सहित मंडलायुक्त की समिति के आदेश पर आखिर अमल क्यों नहीं हो रहा है।