खागा,फतेहपुर,/
छतरपुर, मध्य प्रदेश के बक्शावहा जंगल को कथित माफिया निगलने वाले थे। हीरों की लालच में सरकार भी जंगल काटने के पक्ष में खड़ी थी। स्थानीय लोग चाहकर भी जंगल नहीं बचा पा रहे थे। तभी बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष की पहल पर एक आंदोलन चलाया गया। जिसमें नारा दिया गया, हीरा नहीं हरियाली चाहिए, बुंदेलखंड की खुशहाली चाहिए। आंदोलन कई दिनों तक चलता रहा। आखिरकार, सरकार को झुकना पड़ा और जंगल बचाने की मुहिम सफल हुई। इस आंदोलन से देश के कोने-कोने में रहने वाले पर्यावरण प्रेमियों को जोड़ने में भी प्रवीण सफल हुए।