फतेहपुर/संवाददाता हावड़ा-दिल्ली रूट पर रमवां रेलवे क्रासिंग का फाटक बंद करने के बाद टार्च (इलेक्ट्रिकल लैंप) से हरी बत्ती जलाकर लाइन क्लियर का सिग्नल देकर गेटमैन कमरे में सो गया। इससे क्लियर लाइन देखकर पटरी पर ट्रेनें दौड़ती रहीं और मध्यरात्रि से भोर पहर तक रेलवे फाटक पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। वाहन की लाइन देख पीआरवी ड्यूटी पर तैनात सिपाही जानकारी लेने पहुंचे तो यहां देखा कि टार्च जलाकर गेटमैन सो गया है। इस पर सिपाहियों ने सोते हुए गेटमैन का वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया में वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने पर सेक्शन इंजीनियर ने गेटमैन को निलंबित कर जांच बैठा दी है। हालांकि, “आपकी खबरें न्यूज़” ने वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। रमवां गेट नंबर 47 पर गुरुवार रात 10 बजे से प्रात: छह बजे तक गेटमैन आरके शर्मा की ड्यूटी थी। बताते हैं कि मध्यरात्रि बाद वह टार्च (इलेक्ट्रिक लैंप) जलाकर बाहर रख दिया और कमरे में सोने चला गया और ट्रेनें पटरियों पर दौड़ती रहीं। भोर पहर वाहनों की लंबी लाइन लगने पर पीआरवी टीम पहुंची तो उन्होंने देखा कि गेटमैन नहीं है और टार्च जल रही है इस पर उन्होंने दरवाजे की कुंडी खटकटा कर गेटमैन को जगाया। पुलिस के समक्ष गेटमैन का कहना था कि अभी एक घंटे पूर्व ही उसे नींद लगी थी, लेकिन सिपाहियों ने उस लापरवाह गेटमैन की बात नहीं सुनी बल्कि इंटरनेट मीडिया में वीडियो वायरल कर दिया। सेक्शन इंजीनियर अनूप सिंह ने बताया कि पूछताछ में गेटमैन आरके शर्मा का कहना था कि उसे दो दिनों से वायरल फीवर है और भोर पहर ही उसे नींद लगी थी। उसकी जेब से दवा का पर्चा व दवा भी मिली हैं फिर भी उसे निलंबित कर जांच बैठाई गई है। कहा, टार्च जलने से ट्रेनों में हादसे जैसी कोई बात नहीं है। बंद रेलवे क्रासिंग कुछ वाहन अवश्य फंसे रहे।
इलेक्ट्रिक लैंप का क्या रहता है काम
आरपीएफ इंस्पेक्टर प्रवीण सिंह ने बताया कि ट्रेनों को पास कराने के लिए इलेक्ट्रिक लैंप का काम होता है। लैंप में हरी बत्ती जलाकर यह देखा जाता है कि ट्रेन में धुआं निकलने, आग लगने के साथ इंजन व बोगी का कोई पुर्जा टूटकर लटक तो नहीं रहा है, यदि ऐसा कुछ होता है तो लैंप से हरी बत्ती की जगह लाल बत्ती जलाकर ट्रेन रोकी जाती है। ये सतर्कता का काम गेटमैन का होता है।
रात में 20 ट्रेनों का होता आवागमन
स्टेशन अधीक्षक आरके सिंह का कहना था कि रात को शिवगंगा एक्सप्रेस, पुरुषोत्तम, लिच्छवी, प्रयागराज-जयपुर एक्सप्रेस प्रयागराज एक्सप्रेस आदि ट्रेनों के साथ छह राजधानी ट्रेनों का आवागमन होता है। इस बीच तनिक भी लापरवाही से ट्रेनों में हादसा होने की संभावना बनी रहती है। करीब 20 से अधिक ट्रेनों का आवागमन होता है।