वाराणसी/नि.संवाद
गंगा के उत्तरी छोर पर पर्यटन विस्तार की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं के साथ विकसित किए जा रहे खिड़किया घाट पर गंगा में ही नावों को सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) मिल जाएगी। इसके लिए फ्लोटिंग जेटी पर सीएनजी फिलिंग स्टेशन स्थापित किया गया है। देश में अपनी तरह के इस पहले अनूठे फ्यूल स्टेशन से गंगा में चल रहे 900 नाव-बजड़ों को मौके पर ही ईधन मिल जाएगा। यह प्रयोग नाविकों का समय -श्रम तो बचाएगा ही आर्थिक रूप से भी लाभकारी साबित होगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस सीएनजी फिलिंग स्टेशन के निर्माण में इनक्यूबेटेड कंपनी एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर ने पेटेंट तकनीक सेल्फ एडजस्टिंग फिक्स्ड टाइप जेट्टी (एसएएफटीजे) का उपयोग किया है। खास फिलिंग स्टेशन युक्त जेट्टीबाढ़ के दौरान जल स्तर के साथ उपर आती जाएगी। इससे पंप के साथ ही पाइप लाइन भी किसी तरह के खतरे से सुरक्षित रहेगी। पांच माह में पूरे हुए प्रोजेक्ट पर 3.62 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आइआइटी बीएचयू के साथ ही इंडियन रजिस्टर आफ शिपिंग की ओर से इसे हरी झंडी मिल चुकी है।
रविदास घाट पर भी बनेगा ऐसा स्टेशन
खिड़किया घाट के बाद अब संत रविदास घाट पर भी ऐसा ही सीएनजी फिलिंग स्टेशन बनाने की तैयारी है। वास्तव में बनारस में जल पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए शहर के दो छोर पर स्थित ये दोनों ही घाट अनुकूल हैैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य भव्य स्वरूप का लोकार्पण करने आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने वाराणसी दौरे में इन दोनों ही घाटों का जलमार्ग से आवागमन के लिए उपयोग किया।
प्रोजेक्ट की नींव में बीएचयू और कानपुर आइआइटी
अनूठे प्रोजेक्ट को आइआइटी बीएचयू के छात्र अंकित पटेल व अचिन अग्रवाल की कंपनी एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर ने मूर्त रूप दिया है। इसमें आइआइटी कानपुर ने तकनीकी मदद की थी। एक्वाफ्रंट स्ट्रक्चर फ्लोटिंग डाक्स, स्टील की फ्लोटिंग जेट्टी के साथ ही डंब बार्ज (भारी माल ले जाने के लिए तैरने वाला प्लेटफार्म) बनाती है। कंपनी के निदेशक अंकित पटेल व अचिन के साथ ही केशव पाठक, राकेश जटोलिया व जयशंकर शर्मा ने प्रोजेक्ट तैयार किया। आइआइटी बीएचयू के प्रो. के.के पांडेय के प्रयास से इसे लागू किया गया है।
प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी
डीजल-पेट्रोल इंजन के मुकाबले सीएनजी इंजन सात से 10 फीसद खतरनाक गैसों का उत्सर्जन कम करेगा। सल्फर डाइ आक्साइड आदि गैसों का उत्सर्जन न होने से भी प्रदूषण कम होगा। डीजल इंजन की तेज आवाज से जलीय जीव-जंतुओं पर विपरीत असर पड़ता है। इको सिस्टम असंतुलित होता है।
सीएनजी से दोगुने से अधिक फेरा
नाविकों के अनुसार डीजल चालित नाव में हर दिन 500-600 रुपये का डीजल भराना होता था। अब उतने ही फेरे महज 300-350 रुपये की सीएनजी में लग जा रहे हैं। पांच लीटर डीजल में अस्सी से राजघाट तक मात्र चार चक्कर लग पाता है। अब पांच किग्रा सीएनजी से 12 चक्कर लगाया जा सकता है।
फ्लोटिंग सीएनजी फिलिंग स्टेशन आनलाइन प्रणाली से जुड़ा
यह देश का पहला फ्लोटिंग सीएनजी फिलिंग स्टेशन आनलाइन प्रणाली से जुड़ा है। आवश्यकतानुसार नावों को सीएनजी उपलब्ध कराया जाएगा। स्टेशन का काम पूरा हो गया है।-गौरीशंकर मिश्र,शहरी गैस वितरण प्रभारी व डीजीएम, गेल
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October 23, 2023