फतेहपुर/संवाददाता,/
पुलिस की शान उसकी वर्दी और टोपी होती है। इसी के भरोसे तो आम लोग उन्हें कानून का रखवाला मानते हैं। फिर सिर-माथे रखी जाने वाली टोपी के तो क्या कहने। लेकिन अफसोस जनपद फतेहपुर में ऐसा लगता है कि एआरटीओ पुलिस में सिपाही इसे पहनने से परहेज करने लगे हैं। नतीजा फोटो में साफ देखा जा सकता है। अपने अधिकारी के साथ ये सिपाही शान से बिना टोपी फोटो सेशन करवा रहे हैं। क्या ये गम्भीर अनुशासन हीनता उनके अधिकारी को नही दिखती? क्या ये उनकी वर्दी का अपमान नही है? बता दें कि पुलिस के लिए टोपी पहनना उतना ही जरूरी है। जितना पैंट-शर्ट, वर्दी पर नेम प्लेट, नंबर बैज, बेल्ट और जूते-मोजे। इनमें से कोई एक भी मौजूद न हो तो वर्दी पूरी नहीं मानी जाती। ट्रेनिंग में खासतौर पर इसकी जानकारी दी जाती है और इसका महत्व बखूबी समझाया जाता है। आखिर ट्रेनिंग के दौरान खाकी यूनिफॉर्म पुलिस की आन बान शान है, ये पढ़ने के बाद क्यों भूल गए एआरटीओ के जवान टोपी लगाना? चलो मान भी लिया जाए कि भूल गए होंगे पर जब अधिकारी मौजूद है फिर भी वर्दी का अपमान और अगर जवान अनुशासनहीनता कर रहे थे तो पीटीओ महोदय को अपने चहेतों को टोकना चाहिए था। कम से कम तब तो जरूर जब फोटो खिचव्वल हो रहा हो।