प्रयागराज/संपादक (जसवन्त विश्वकर्मा) प्रयागराज जनपद के मेजा तहसील अंतर्गत एक ऐसी सच्ची घटना सामने आई, जिसमें एक व्यक्ति ने अपना खून पसीना एक कर करोना संक्रमण काल में ऑक्सीजन को बढ़ाने के लिए एक पीपल के वृक्ष को रोटी कर उसे सीकर बड़ा करने का ठान लिया। जो 1 फीट से लेकर आज वह वृक्ष लगभग 5 फीट का तैयार हो गया। जिसकी देख-रेख व सीचने के लिए उस व्यक्ति ने छेनी-हथौड़े का प्रयोग कर पहाड़ में पत्थर तोड़ तोड़ कर अपना खून पसीना एक कर दिया और उसकी मेहनत आज रंग लाई। वहां पर उस व्यक्ति द्वारा पहाड़ काटकर पानी निकाल लिया और उस पीपल के वृक्ष को सींचने के साथ-साथ जंगली जानवरों व चरवाहों के पीने की भी व्यवस्था हो गई। आपको बताते चलें कि मेजा तहसील मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर दूर मेजा-कोरांव मार्ग पर जंगल में 8 माह पूर्व से कड़ी मेहनत व लगन के साथ पीपल का वृक्ष लगाकर वहां छेनी हथौड़ी का प्रयोग कर पानी का प्रवाह कर लिया जो आज लगभग वह 5 फीट गहरा गड्ढा होने के साथ वहां का पानी शुद्ध व स्वच्छ है। उस स्थान के पास नवोदय विद्यालय स्थित है। जिससे वहां का वातावरण और भी स्वच्छ हो जाता है। उस स्थान को देखने लायक एक मनमोहक स्थान बन गया। वहां पर लोग सुबह व शाम घूमने टहलने जाते हैं, वहां का पानी स्वच्छ होने की वजह से लोग स्नान भी करते हैं आपको बता दें कि “आपकी खबरें न्यूज़” ने जब ऐसे स्थान के बारे में जाना तो वहां जांच पड़ताल करने पहुंची टीम के साथ वहां के लोगों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया की मेजा गांव निवासी प्रताप (38 वर्ष) ने माह दिसंबर 2020 से आज तक उस पहाड़ी में छेनी और हथौड़ी का प्रयोग कर वहां एक विशालकाय पोखर का निर्माण किया। जिसमें स्वच्छ व साफ पानी भी प्रवाहित हो आया। जब इस विषय में प्रताप से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम लगभग 8 माह पूर्व से इस स्थान पर आते हैं और यहां कोई भी दूर दूर तक कोई वृक्ष नहीं है इस लिए हमने यहा एक पीपल का वृक्ष लगाएं, जिससे पास में ही नवोदय विद्यालय हैं जहां बच्चे रहते हैं और कोरोना संक्रमण से बचाना के लिए आक्सीजन अति आवश्यक है। इस कारण हमने यहां पर पीपल का वृक्ष लगाया जो सर्वाधिक ऑक्सीजन देता है। इसको लगाने के साथ ही यहां पानी के लिए कोई जगह नहीं है कि यहां पानी से इस वृक्ष को सीचा जाए और तैयार किया जाए इसलिए हमने यह ठान लिया कि हम इसी स्थान पर पानी का निर्माण करेंगे और निर्माण कर दिया। जिसमें हमारा खून भी बहुत बह चुका है हमारी मंशा है कि इस स्थान को और सुंदर बनाएंगे जिससे यहां पर पशु पक्षी जंगली जानवरों को गर्मी में पानी की कमी ना होने पाए और वह आराम से पानी पी सके साथ ही हम यह चाहते हैं कि प्रत्येक तेरस को यहां पर मेला लगाना व भंडारा करना हमारा सर्वोपरि कार्य रहेगा। यहां पर लगभग प्रतिदिन 200 से 250 लोग आते हैं और स्नान भी करते हैं यह एक ऐसा शांतिप्रिय प्रस्थान है। इस वृक्ष से आसपास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होने पाएगी।
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